Book Title: Gnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Author(s): Rajkumari Kothari, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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________________ के पुस्तकालय, वहाँ के कर्मचारियों एवं समाज के अनेक सदस्यों की आभारी हूँ जिनके निरन्तर सहयोग, उत्साहवर्धन एवं संबल से यह कार्य सम्पन्न हो सका। मैं आभारी हूँ जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के सह आचार्य डॉ० प्रेम सुमन जैन एवं अध्यक्ष डॉ० उदयचन्द जैन की, जिन्होंने इस ग्रन्थ को नवीन आयाम देने में अपने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये। ___ इस अवसर पर अपनी पुत्री सुश्री साक्षी का स्मरण करना भी अपना कर्तव्य समझती हूँ जिनकी कोमल भावनाओं को सहलाने वाले अमूल्य समय को इस काम में लगाकर मैं उसके साथ पर्याप्त न्याय नहीं कर सकी। राजकुमारी कोठारी उदयपुर, 1/1/2003 . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
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