Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 389
________________ ३६४ भी मन की व्याख्या पूरी नहीं लिखी जा सकी । इस विषय में जितना भी लिखा जाय या कहा जाय वह नया ही लगेगा । अतऐव मानव अपने विकास में महान सहायक मन को सदा ईश्वर मजन में रोके रखना चाहिये । मन को जितना एकाग्र किया जाय उतना ही मानव शक्तिशाली बनेगा ।" इस प्रकार 'मन' की एकाग्रता पर विवेचन कर ईश्वर भक्ति का महत्त्व समझाया । प्रवचन के बाद महाराणा साहब ने पूज्यश्री से एकान्तवार्तालाप के लिए उपस्थित सभी सामन्तवर्गों को एवं जनता को दूसरे कमरे में जाने की आज्ञा दी । सब के चले जाने पर करीब एक घन्टा महाराणा साहब ने पूज्यश्री से एकान्त में विविध विषयक चर्चा की और बडी प्रसन्नता प्रगट की । वार्तालाप के बाद जब पूज्य श्री स्वस्थान पधारने लगे । तब श्री महाराणा साहब ने कोठारीजी साहब एवम् चौवीसाजी साहब से फरमाया कि पूज्यश्री यहाँ से कहा पधारेंगे । तत्र कोठारीजी ने कहा कि पूज्यश्री डबोक गुडली देबारी आदि गांव में पधारते हुए उदयपुर पधारेंगे । तत्र महाराणा साहब ने कोठारीजी साहब को फरमाया कि उदयपुर तो थारा बंगला में बिराजेगा । तब कोठारीजी साहब ने फरमाया कि 'बडो हुकुम' फिर चोमासो कठेवेगा जणी की दरीयाफ्त फर्माई कि पूज्यश्री फाल्गुनी पूर्णिमा के पहले चोमासा को निश्चय नहीं फरमा सके । पुनः महाराणा साहब ने कहा - उदयपुर तो नराई वर्षासु पधार्या सो थोडे रोज ज्यादा ठहरणो पडेगा । इसके उत्तर में पूज्यश्री ने फरमाया - जैसा अवसर । आज हमलोग उदयपुर की ओर बिहार करने का विचार रखते हैं । इस प्रकार के वार्तालाप के बाद पूज्यश्री अपनी शिष्यमंडली के साथ कुँवरपदे के महल में पधार गये । यहां आहार पानी करके पूज्यश्री दोपहर को बिहारकर डबोक पधारे । यहाँ पर पधारने से सारा गांव पूज्यश्री की सेवा में संलग्न हो गया। ता० ३१-१२-४१ को सारे गांव अगता रखा गया और ॐ शान्ति की प्रार्थना की गई । समस्त गांव के जैन अजैन भाई बहनों ने ॐ शान्ति की प्रार्थना की और पूज्यश्री ने विशाल जन समूह को अपने प्रवचन से लाभान्वित किया । यहाँ से आपने बिहार कर दिया और आप देबारी स्टेशन होकर उदयपूर पधारे । गुडली के श्रावकसंघ का आग्रह होनेपर पं. मुनिश्री गुडली पधारे । यह पं. मुनिश्री कन्हैयालालजी म० श्रीका जन्म गांव है । रात्रि में पं. मुनिश्रीका प्रवचन हुआ वहाँ से दोपहर को बिहार कर मुनिश्री ता०२-१४२ को उदयपुर स्टेशन पर पूज्यश्री की सेवा में पधारे । आप इपेक्षण रूम में तीन दिन तक रेल्वे कर्मचारियों के आग्रह पर बिराजे। आप के तीनों दिन तक कर्मचारियों के बीच व्याख्यान होते रहे । ता०४-१-४२ को ॐशान्ति दिवस मनाया गया। समस्त रेल्बेकर्मचारियों ने एक दिन अगता रखा । स्टेशन का कसाई खाना बन्द रहा । ॐ शान्ति की प्रार्थना की। स्टेशन मास्टर ने कई बकरों को अमरिया किये। रेल्वे के विशाल गोदाम में पूज्यश्री का प्रवचन होता था । जिसमें रेल्वेकर्मचारियों के समस्त कुटुम्ब के साथ व उदयपुर का जन समूह भी पूज्यश्री का व्याख्यान श्रवण करता था । पूज्य श्री ४-५ दिन बिराजने का स्टेशन मास्टर ने आग्रह किया । किन्तु आयड संघ की विशेष प्रार्थना होने से आप आयड पधारनेलगे । सहसा पूज्यश्री के बिहार को देखकर स्टेशन मास्टर दौडा हुआ आया और उस दिन स्टेशन पर ही पूज्यश्री को रोक दिया । दूसरे दिन पूज्यश्री ने आयड बिहार कर दिया । यहाँ आप सेठ झुमरलालजी सिरोया के मकान में बिराजे । ता० १०-१-४२ को सभी जैन अजैन हिन्दू मुसलिम भाईयोंने अगता पालकर ॐ शान्ति की प्रार्थना आयड के प्रसिद्ध स्थल गंगूभे पर की गई । मध्यान्ह में पूज्यश्री का प्रवचन हुआ । प्रवचन में उदयपुर शहर की जनता बढो संख्या में उपस्थित थी । व्याख्यान के बाद महाराणा सा. के जेब खजानची सा. श्री कालूलालजी कोठारी ने अपने रंगनिकुंज भवन में पधारने की पूज्यश्री से प्रार्थना की । पूज्य श्री ने कोठारीजी की प्रार्थना को मानकर उसी समय बिहार कर दिया और रंगनिकुंज में आकर बिराजे । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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