Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 479
________________ ४४८ १९७९ १९८० १९८१ १९८२ १९७३ १९८४) १९८५ १९८६) १९८७) १९८८ १९८९ अहमदनगर तासगांव जलगांव बेलापुर ब्यावर बोकानेर ". " जामजोधपुर राणपुर विरमगांम अहमदनगर अहमदाबाद विराजे २०१२ २०१३ २०१४ थी १७ वर्ष सुधी २०३० स्वर्गवास पोषकृष्णा अमवस्या उदयपुर गुरुवार ता. ३-१-७३ रात्रे ९-२७ गोगुंदा ॐ नमो सर्व सिद्धम् कवि रत्न पं. श्री मेवाडी मुनि के उद्गार-युनप्रधान आचार्याऽष्टकः मेताड तेरी क्या कथू में ? सरम सुन्दर सूक्तियां, तेरे गर्भ से अवतरी अनवरविशुद्ध विभूतियां ॥ त्यागी तपस्वी धर्म मूर्ति सुमर प्रात काल है, आनन्द कन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥१॥ वीरवर नर केशरी राणाप्रताप हुए जहां मंत्रीशभामा धर्म रक्षक देश सेवक थे जहां । उसदेश की सद्गोद में अवतरण किरण प्रवाल है, आनन्दकन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥२॥ धन्य जननी क्या किया थे उग्र तप किस लोक में, ? धर्म दीपक आगया न रत्न तेरी कोख में ॥ धन्य दुर्ग तरावली तेरा भी भाग्य विशाल है, आनन्दकन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥३॥ बाल वय दिक्षित हुए आ बाल ब्रह्मचारी नतम्, न्यायतकसिद्धांत कौमुद कोष कव्यालंकृतम् ॥ षड दश भाषा विशारद दिव्य दमकत भाल है, आनंद कंद दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥४॥ उदयपुरभूपाल कोल्हापुर विरत हुए पाप से, सिंध की लाखों प्रजा सद् बोधा पाई आपसे ॥ सेंकडो क्षत्रि कुलों उज्वल किये कृपाल है, आनंद कन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥५॥ आगमौ परभाष्य टीका सरस शेली में रची डंडियोंकी दम्भलीला हिल गई हल चल मची ॥ श्रीमान् के हिं कंठ शोभित जैनमत जय माल है, आनं कंद दिनिंद सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥६॥ गगन मंडल एक रवि है एक है रजनी पति, करण दानी एक हो गए एक है जंबू जती ॥ संप्रति समय के श्रमण गण में एक आप दयाल है, आनंद कंद दिनिद सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥७॥ चीर कोल तक कायम रहै जिनदेव से यह प्रार्थना कुशल गढ़ में एक मेवाडी मुनि कि विर रचना ॥ करत अनुचर विनय नत हो आपहि प्रतिपाल है. आनन्द कन्द दिनितद सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥८॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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