Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 459
________________ ४२८ के भवन में श्री कजोडीमलजी सा. की अध्यक्षता में हुई। उसमें निम्न प्रस्ताव पारित हुआ-आज रविवार ता० १४।१ ७३ श्री राजस्थान स्थानकवासी जैन संघ की यह सभा परम पूज्य जैनचार्य प्रात व प्रखर शास्त्रज्ञ. परमत्यागी व शास्त्रोद्धारक पं० प. मुनिश्री घासीलालजी महाराज सा. के देवलोक पर पूर्ण आघात महसूस करती हैं । आज के इस विलासी युग में इस प्रकार को महान विभूति की क्षतिपूर्ति होना अत्यन्त दुष्कर है। समाज को शास्त्रोद्धार के रूप में दी हुई उनकी सेवा के लिए समाज उनका चिरऋणी है और रहेगा । शामनदेव से प्रार्थना हैं कि सद्गत की आत्मा को शान्ति प्रदान हो तथा संत एवं श्रावक समाज को धैर्य प्रदान हो । सभापति राजस्थान स्थानकवासी जैन संघ । शाहीबाग (अहमदाबाद) श्री वर्धमान स्था० जन श्रावक सघ । मदनगन्ज-किशनगढ (राज) ९।१।७३ मन्त्री श्री वर्तमान स्थानकवासी जैन संघ अहमदाबाद आपके वहां पर आगम रत्नाकर पूज्य आचार्य महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी म. सा. के कालधर्म को प्राप्त होने के समाचार जानकर स्थानीय श्रावक संघ को गहरा शोक हुआ। आपके द्वारा की गई आगम सेवा युगोयुगों तक जीवन को प्रकाश देती रहेगी । वयोवृद्ध होते हुए भी आपकी आगम अनुवाद के कार्य में तन मन से की गई निरन्तर सेवा के लिए जैन जगत सदा ऋणी रहेगा । आप प्रकाण्ड विद्वान गम्भीर चिन्तक एव शास्त्रीय ज्ञान के अनूठे उपासक थे । आपकी कृपा से ही बतीस आगमों का तीन भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो सका है आपके कालधर्म के प्राप्त हाने से स्थानकवासी जैन समाज की जो अपूरणीय क्षति हुई है उनकी पूर्ति होना असम्भव है। स्थानीय श्रावक संघ ने एक जनरल सभा बुलाकर पूज्यश्री के प्रति अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की । एवं चार लोगस्स के ध्यान द्वारा शासनदेव से पूज्यश्री की आत्मा को परम शान्ति के लिए प्रार्थना की गई। उनके चमकारिक जीवन की भूरि भूरि प्रशन्सा की गई। __ आपका चम्पालाल चोरडिया स्था. जैन संघ मदनगंज (कीशनगढ) एस. एस. जैन सभा । फतेहाबाद (हिसार) हरियाणा यहां पर पं. श्री शान्तिऋषि जी म. सा. तथा विजयऋषिजी महाराज श्री सुख साता में विराजमामान है। तरुण जैन के दिनाङ्क १६।१।७३ के अंक में पूज्यश्री १००८ श्री पं. रत्न शास्रों के प्रकाण्ड विद्वान, अनेक भाषाओं के ज्ञाता श्री घासीलालजी महाराज के स्वर्गवास के समाचार पढने को मिले । महाराजश्री को एवं संघ को समाचार पढ़कर अत्यन्त दुःख हुआ । पूज्यश्री समस्त जैन संघ के उपकारी थे । उन्होंने सुत्रों पर विद्वतापूर्ण टीका रचकर महद् उपकार किया है और जैन समाज के नाम को रोशन किया है। उनका पार्थिव देह अब हमारे सामने नहीं रहा किन्तु यशः शरीर सदा अमर रहेगा। पूज्यश्री ने जो हमें मार्ग बताया है उन्हीं मार्ग पर चलने से ही समाज का एवं हमारा श्रेय होगा। पूज्यश्री की स्वर्गस्थ आत्मा सदा चिर शान्ति का अनुभव करे यही शासन देव से प्रार्थना करते हैं। व्यवस्थापक स्था० जैन संघ हिसार हरियोणा स्थानकवासी श्रावकसंघ होलनान्था (धूलिया) महाराष्ट्र सेषामें निवेदन है कि....... हमारे यहां पर पं० मुनिश्री १००८ श्रमण श्रेष्ठ श्री समरथमलजी महाराज के सुशिष्य तपस्वी श्री Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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