Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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रतलाम ५-१-७३ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ, रतलाम को यह सभा शास्त्रों के मर्मज्ञ, प्रकाण्ड विद्वान श्री जैनाचार्य पूज्य श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज के अहमदाबाद में हुए स्वर्गवास पर शोक प्रकट करती है । पूज्य श्री के स्वर्गवास से जैन समाज के एक महान जोतिर्मय अस्त हो गया है । आपने आगमों पर सुन्दर संस्कृत टीका निर्माण कर स्थानकवासी समाज के गौरव को बढाया है और जैन साहित्य की अमूल्य सेवा की है । आपके निधन से जो क्षति हुई वह अपूरणीय है । शासनदेव से प्रार्थना है कि स्वर्गीय आत्मा को शाश्वत शान्ति प्रदान करें
निर्वाण सभा
कोठारी भवन (नाहर वाडा) शाहपुरा ( राजस्थान ) दिनाङ्क ४ जनवरी १९७३ को प्रातः ८ बजे रेडियो द्वारा परम श्रद्धेय शास्त्रज्ञ पूज्य मुनि श्री १००८ श्री घासीलालजी म० सा० के अहमदाबाद में आकस्मिक निधन के दुःखद समाचार सुनकर स्थानीय संघ दिवंगत आत्मा को अपने हृदय की श्रद्धा अर्पित करने के लिए अत्रस्थ आगम अनुयोग प्रवर्तक पं० रत्न मुनिश्री कन्हैयालालजी महाराज सा० 'कमल' एवं उप प्रवर्तक मुनिश्री मोहनलालजी म० आदि ठाना चार के सानिध्य में एकत्र हुआ । श्रद्धेय मुनिश्री कमलजी म० सा० ने स्वर्गीय मुनिश्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा - " स्वर्गीय पं० मुनिश्री घासीलालजी महाराज एक उच्चकोटि के विद्वान एवं शास्त्रमर्मज्ञ थे । उनका ज्ञान दर्शन एवं चारित्र उच्चकोटि का था । उन्होंने विविध ग्रन्थों का निर्माण करके समाज पर एक महान उपकार किया । आपके स्वर्गवास से समाज को महान क्षति हुई ।" अन्त में पं० मुनिश्री ने श्रोताओं से जैनाचार्य पं मुनिश्री घासीलालजी महाराज की याद में भोजन के समय अपने-अपने इष्ट देव का स्मरण करने की प्रतिज्ञा करने को कहा । उपस्थित श्रोताओं ने प्रतिज्ञा सहर्ष स्वीकार की । संघ ने दो मिनीट मौन रहकर श्रद्धाञ्जली अर्पित की।
विशेष मुनिश्री ने फरमाया कि 'शोक' का अपने यहा कोई स्थान नहीं है इसलिए इस शभा को शोक सभा न कह कर यदि निर्वाण सभा कहें तो अति उपयुक्त होगा ।
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अध्यक्ष
स्थानकवासी जैन संघ रतलाम
मंत्री नाथूलाल कोठारी स्था० जैन संघ शाहपुरा ( राज० ) वर्धमान स्था० जैन संघ भूपालगंज भीलवाडा (राज ० ) वयोवृद्ध पं० रत्न पूज्यश्री घासीलालजी महाराज साहब के स्वर्गवास के समाचार सुनकर सारा जैन समाज स्तब्ध रह गया । व सर्वत्र शोक छा गया। इस हेतु शान्ति भवन में दिनाङ्क ६-१-७३ को प्रातः ७ बजे संघ की बैठक रखी गई। जिसमें ४ लोगस्स का ध्यान कर श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए कहा - पूज्यश्री के स्वर्गवास से समाज को महान क्षति हुई है । ये उच्चकोटि के प्रभावशाली सन्त थे ! आपका त्याग महान् था । आपने जैन शास्त्रों पर टीका लिखकर स्था. जैन समाज पर महान उपकार किया । वीर भगवान स्वर्गस्थ आत्मा को चिर शान्ति प्रदान करें ।
आपका
जसवंतसिंह डागलिया व्यवस्थापक- स्थानकवासी जैन संघ भूपालगंज (भीलवाडा) रायपुर (मेवाड ) १०-१-७३ षोष शुक्ला ८ अष्टमी बुधवार पवित्रात्मा अप्रमत प्रबल आगम ज्ञान के महान रक्षक पूज्यप्रवर आचार्य श्री घासीलालजी महाराज भवरें फूलों में से रस पान कर जानता है, परन्तु वह अपने मुख से उस पंकज का गुण वर्णन नहीं कर सकता है । लेकिन भंवरा आनन्द से तन पोषण करता रहता है । ओर रस आश्रय को वह कभी नहीं
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