Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 460
________________ ४२९ मुनिश्री १००८ श्री चंपालालजी महाराज सा० ठाना ४ चार से सुखसाता में विराजमान है। ___आज प्रातः ता० ४-१-७३ को रेडियो पर जैनाचार्य जैनधर्म दिवाकर पं० रत्न श्री पूज्य गुरुदेव श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज सा० का स्वर्गवास होने का समाचार सुनते ही समाज में दुःख की छाया फैल गई । समाज को इस महिने में पूज्य गुरुदेव श्रमणश्रेष्ठ समरथमलजी महाराज सा० के स्वर्गवास का भार अभी कम हुआ ही नहीं था कि पूज्य गुरुदेव श्रीघासीलालजी म. सा. के स्वर्गवास का जुःख दुगुवा हो गया । आज सारे जैन समाज में दुःख की छाया छा गई । इस महिने में इन दो महान सन्तों के वियोग से समाज में बहुत भारी क्षति हो गई । आज हमारे यहां दुकाने बन्द रखी गई । शालाएं, पाठशालाएं, हायस्कूल बन्द रखे गये । आज का दिन सभी भाई बहनों ने महाराजश्री के सानीध्य में रहकर जैन स्थानक में जाकर दयाएँ, उपवास, पौषध, सामायिकें आदि धर्मध्यान किया। __ आज दुपहर में दो बजे पू० गुरुदेव श्री चम्पालालजी म० की उपस्थिति में शोक सभा का आयोजन किया गया। और चार लोगस्स का कायोत्सर्ग करके पूज्यश्री घासोलालजी महाराज को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए पू० गुरुदेव श्री चंपालालजी महाराज ने फरमाया कि इस माह में समाज के दो महान पुरुषों के स्वर्गवास होने से जैन समाज के दो महान रत्न हीरा मोती हमसे बिछड़ गये। जिसकी पूर्ति होना असंभव हैं और पूज्य गुरुदेव श्री घासीलालजी महाराज चारित्रशील आदर्श और उज्ज्वल जीवन बिताने वाले एक महान सन्त थे। आज हमारा सारा समाज उनके वियोग में दुखी है । इस पुण्यात्मा को शासनदेव चिर शान्ति प्रदान करे यही प्रभु से प्रार्थना है। वीनीत स्थानकवासी जैन श्रीसंघ होलनांथा (जि० धूलिया) महाराष्ट्र शास्त्रोद्धारक के प्रति श्रद्धांजली । (वैद्य अमरचन्द जैन वरनाला पंजाब) यह संसार प्रवाह रूप से अनादि है। इसमें समय समय अनेक भव्य आत्माओं ने जन्म लेकर स्व-पर का कल्याण किया। भगवान श्री महावीर की वाणी में "तिन्नाणं तारयाण" | को चरितार्थ किया । धर्म पथ से भ्रष्ट भूले भटके जनमानस को सन्मार्ग प्रदान किया । देश समाज और राष्ट्र के उत्थान में सहयोग दिया। विश्वबन्धु भगवान श्री महावीर प्रभु के सत्य संयम तप आदि गुणों तथा अहिंसा अनेकान्त अपरिग्रहवाद आदि सिद्धान्तों की अमृतधारा का अजस्त्र स्त्रोत जन जन के मानस में बहाकर सत्पथ मोक्ष पथ का अधिकारी बनाया। ऐसे ही एक महान पुण्य आत्मा नर पुंगव आध्यात्मिक जगत के नेता, आत्मबल के प्रखर अधीश्वर जैनागमो के टीकाकार आध्यात्मिक धन से धनी, तपसंयम उत्कृष्ट मंगलमूर्ति आचार्य प्रवर श्री घासीलालजी महाराज थे । जिन्होंने १६ वर्ष की लघु अवस्था में उस दिव्य आध्यात्मिक दिव्य संयम पथ को ग्रहण कर भौतिकवाद के चकाचौंध में फसे मानव को आश्चर्यान्वित कर दिया । पूज्यश्री ने हजारों मानवों को सत्पथ बताकर उनका महान् श्रय किया । ऐसी महान् आत्मा के चले जाने से समाज सचमुच हत भागी बन गया । उन महान आत्मा को चिर शान्ति मिले यही भगवान से प्रार्थना स्थानक वासी जैन संघ मालेगांव स्थानकवासी समाज के वयोवृद्ध शास्त्रोद्धारक पूज्य श्री के स्वर्गवास के समाचार पढकर समस्त मालेगांव संघ को गहरा आघात लगा है। पूज्य श्री उच्चकोटि के सन्त थे । आप जैनधर्म दिवाकर विश्रत विरुद्ध से विभूषित थे । आपने ५० वर्ष तक विपुल साहित्य का निर्माण किया । आपकी कवित्व प्रेतिभा भी अनूठी थी । पूज्य श्री एक असाधारण मनीषी, वाग्मी, निस्पृह महापुरुष थे । आपके जीवन का ज्यों ज्यों परिचय प्राप्त होता है, त्यों त्यों उनके उच्च महान व्यक्तित्व के प्रति श्रद्धा और आदर का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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