Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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श्री ने राजनीति और राजकर्मचारियों के कर्तव्य एवं संतसमागम जैसे विषयों पर दो घन्टे तक मार्मिक प्रव चन सुनाया । इसके बाद हिज हाईनेश महाराणा साहब ने पूर्ण श्रद्धा से पूज्यश्री को वस्त्र बहराया । भव्य शान्ति समारोह
चम्पाबाग की ता. १२-१-४२ की मुलाकात में श्री महाराणा साहब को पूज्य आचार्यश्री ने फरमाया कि आपकी इच्छा हो जब सारे मेवाड के साडेदस हजार गांवों में अगता पलवाया जाय । प्रत्येक गांव के व्यक्तियों से जीव ( बकरे आदि ) अमरिये करवाये जाय एवं उस रोज राज्य के एवं विश्व के प्राणिमात्र की शान्ति के लिए ॐ शान्ति की प्रार्थना की जाय । पूज्यश्री की इस आज्ञा का महाराणा साहब ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । तदनुसार माघ शुक्ला पूर्णिमा रविवार पुष्यनक्षत्र के योग में ता. १-२-४२ के दिन सारे मेवाड भरमें अमरिये करने का व अगता पालने का व ॐ शान्ति की प्रार्थना करने का हुक्म श्री महा राणा साहब ने जाहिर किया । तदनुसार सारे मेवाड मे सर्व जगह हुक्म तामिले भेजी गई । महाराणा साहब के आज्ञानुसार सारे मेवाड में उस दिन जीवहिंसा एवं आरंभ समारंभ के कार्य बन्द रखे गये और गावों गावों में ॐ शान्ति की प्रार्थना की गई । उदयपुर में ॐ शान्ति दिवस.. श्री हिजहाईनेस महाराणा साहव की छत्र छाया में उदयपुर राजधानी में ॐ शान्ति दिवस मनाने की भव्य तैयरियाँ शुरु हुई । श्री महाराणा साहब ने सज्जन गाईन गुलाब बाग में नवलखा फिल्ड के विशाल चौक को शान्ति प्रार्थना के लिए अत्युत्तम स्थान पसंद किया । तदनुसार श्री फराश खाना के हाकिम साहेब भंडारीजी श्री नन्दलालजी सा. ढींकडया द्वारा नवलखा फील्ड में छायावान व पुरूषों व स्त्रियों को बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था की गई । प्रवेश स्थल पर भूपालगेट नगर नामका बडा रभणीय दरवाजा बनवा जो देखने में बड़ा ही सुन्दर मालूम देता था । रास्ता ध्वजाओं से श्रृंगारित किया गया । चारों ओर साइनबोर्ड लगाये गये । इस प्रकार परिषद् बेठने के लिए भव्यस्थल को सुव्यवस्थित तैयार किया जैन महावीर मंडल जो कि स्थानकवासी संप्रदाय को मुख्य संस्था है । जिनके सदस्य चिना भेद भाव के सम स्त स्थानकवासी जैन मुनियों की सेवा बडे तन मन से एवं उदारता से करते आये हैं। उनकी ओर से हजारों संपलेट जनता को बाँटे गए । उन पेम्पलेट में ॐ शान्ति प्रार्थना के दिन हिंसा एवं आरंभ सारंभ के कार्य सर्वथा बन्द रखने की जनता को प्रार्थना की गई थी और ॐशान्ति की सामूहिक प्रार्थना में सम्मिलित होने बना दिया गया था । बडे बडे राज्यकर्मचारि, सेठ, एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सुन्दर कार्ड छपवा कर डेप्युटेशन द्वारा पहुंचाया गया । उस दिन राज्य के समस्त केदियों को भी ॐ शान्ति की प्रार्थना का आदेश मिला था । तदनुसार सेन्ट्रल जेल के तमाम कैदियों को उस दिन ॐ शान्ति की प्रार्थना के लिए एक स्थान पर एकत्र होने का आदेश मिला । जैन महावीर मंडल की तरफ से कोठारीजी साहब ने महा राणा से अर्ज की कि हम जैन लोग आज सभी कैदियों को भोजन देना चाहते हैं । तथा पूज्यश्री ने फरमाया कि उस दिन कैदियों से किसी भी प्रकार का काम न लिया जाय । इन सर्व बातों के लिए महाराणा साहव ने अनुमति व आज्ञा दी । तदनुसार ता० ३१-२-४२ के दिन तीन बजे शान्ति प्रार्थना करने के लिए जेलर साहब श्री किशनसिंहजी सा के 'गस श्री महाराणा साहब का हुक्म पहुंचाया गया और उपरोक्त टाईम पर श्री कोठारीजी साहब के सुपुत्र श्रीनजरसिंहजी को खुद महाराणा साहब ने फरमाया कि
आहार पाणी में मोडो वे जावेगा सो यूं वठे जल्दि जोकर जेल में शान्ति प्रार्थना करवा की जल्दि व्यवस्था करवा दे। आज्ञानुसार कुंवरसाहब पूज्यश्री के पास आये और जेलर साहेब को कहला भेजा कि सब कैदियों को फौरन इकट्ठे किये जाय । तदनुसार जेलर साहब ने जैल के तमाम कैदियों को एक स्थान पर एकत्र
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