Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 440
________________ गोंडल से जेतपुर पधारने पर कोठारी बन्धुओंने जेतपुर परा में पूज्य श्री को ठहराए । व्याख्यान शहर के लिम्बडी उपाश्रय में नित्य होते थे। पूज्य श्री जहां भी पधारते, वहाँ शास्त्र लेखन कार्य अबाध गा से चालू रहता था । जेतपुर में बिराजे जितने कोठारी बन्धु के परिवार ने तथा दोनों श्रीस'घोने सेवा का लाभ सम्यक प्रकार से लिया । एक दिन पूज्य श्री ने व्याख्यान में फरमाया था कि ओज श्याम को सर्व जनों को प्रतिक्रमण में अवस्य लाभ लेना है। आज का बड़ा महत्त्व है उसी सायंकाल की घटना बडी आदर्श थी। उस समय भूपत डाकू को बडी धाक थी । भूपत के आतंक से सभी लोग त्रासित थे। उसी दिन सूर्य छिपने के समय अपने मनुष्यों के साथ एक धनवान चौकसी की दुकान पर आकर और चारों ओर चार आदमी खडे होकर लगे गोलियां छोडने, उपाश्रय से एक भाई प्रतिक्रमण कर घर जा रहा था उसे पूछा कोन ? भाई बोला में प्रतिक्रमण करके उपाश्रय से आ रहा हूं। भुपत ने कहा जल्दि चले जाओ। उस समय वजुभाई जो प्रतिक्रमण में न आकर बाहर फोरने गये थे आते समय गोली लगी बहत उपचार करने पर भी बचे नहीं। अगर धर्म करणी में उपाश्रय आ जाते तो कदाच इस प्राण घातक गोली से बच जाते. धर्म आत्मा के लिए महान रक्षक है । उधर डाकु भूपत दुकान मालिक से चावियां मांग कर ले ली, और कबाट खोल कर सोने के गहने से थेला भरकर रेवाना हो गया । भूपत आए की खबर शहर में फेलते ही होंटले दुकाने बाजार खटाखट बन्ध हो गए और लोग सब अपने २ घरों पर या इधर उधर जा छिपे । पुलीस पार्टी पडी हुई थी। फिर भी भयसे सर्व अपने स्थान पर चप रहे । किन्हीं की हिम्मत नहीं हुई कि जाकर उसका सामना करें। पांच मिनीट में हजारों का माल लेकर रवाना हो गया । उसके चले जाने के बाद पुलीस के लोग इधर उधर दौड़ने लगे । उस समय प्रतिक्रमण करने के लिये आए हुए श्रावक भी अपने २ घर पर चले गए । सभी को अपनी जान प्रिय है । धर्म और प्रतिक्रमण का तादृश्य उदाहरण जेतपुर में दिखाई दिया। कंट्रोल के पहले विवाह पर बरातें जाती तो ५-६ दिन वहीं भोजन-पानी धूम धाम में बिता देते किन्तु कन्ट्रोल ने ५-६ दिन को जगह २४ घंटे में ही बारात को पुनः स्वस्थान पहुंचा देने की व्यवस्था सर्जित को । ५.६ दिन बारात बाहर टिकती है यह बात अब लोगों के स्मरण में ही नहीं रही। यह व्यवस्था उपदेश से नहों परन्तु समय ने बदलवादा । इसी प्रकार समाज में बाल विवाह, वृद्ध विवाह. वर वधु विक्रय विवाह, दहेज प्रथा आदि समाजिक विषमताएं भी अपने आप समय के द्वारा बदली जा रही है। या बदली जाएगी । समझ पूर्वक बदलना ज्ञान युक्त परिवर्तन लहलाता है, इस बात को ध्यान में लें तो संसार की अव्यवस्था मिटते जरा भी देरी नहीं लगती। जेतपुर से पूज्य श्री जेतलसर पधारे । यहाँ एक सप्ताह बिराज कर जूनागढ की तरफ विहार किया । जूनागढ में नबाबी राज्य था अंग्रेजों ने भारत छोडते समय भारत के नरेशों को भी स्वतन्त्रता दे दी। अनेक राजाओं में भारत राज्य कैसे बने यह एक महान प्रश्न तत्कालीन राज्य व्यवस्थापकों के सामने था। स्वतन्त्र भारत के चाणक्य सरदार पटेल ने युक्ति से राजाओं को अलग अलग राज्यों से संयुक्त किये और सभी राजाओं को अपनी सत्ता से उतार करके उन्हें सत्ताहीन बना दिये । आगे चलकर पटेल द्वारा दिये गए बचनों से भी उन्हें निरस्त कर दिये। राजाओं में सभी प्रजापीड़क थे, ऐसी बात नहीं थी जो नरेश प्रजा वत्सल थे उन्हें शासन में योग्य स्थान देते तो लुटकों की जमात नहीं बढती । राजाओं ने अपनी सत्ता समर्पित की उसी तरह जूनागढ नवाब के सामने भी सत्ता समर्पित करने का प्रश्न भारत सरकार की तरफ से उपस्थित हुआ। जूनागढ से पाकिस्तान पास होने से नवाब को पाकी स्तान में जूनागढ मिला देने की ईच्छा हुई थी। परन्तु पटेल ने श्री शामलदास गांधी को जूनागढ प्रजा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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