Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 450
________________ ४१९ शास्त्रोद्धार समिति की जनरल मिटिंग हुइ । शास्त्रोद्धार समिति के अध्यक्ष श्रीमान् सेठश्रीशान्तिलाल मंगलदास भाई का यहां के संघ ने भव्य स्वागत किया । समिति के सदस्यों ने गत वर्ष की प्रगति का हिसाब अवलोकन किया और आगामी कार्यों को ठोस बनाने के लिए प्रस्ताव पास किये । समिति के उपप्रमुख श्रीमान पोपलालभाई मावजी ने इस अवसर को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग दिया । जामजोधपुर के सेठ माणेकचन्दभाई, सेठ प्रेमचन्दभाई, श्रीमान बावजीभाई, श्रीमान दलपतभाई, श्रीमान प्राणलालभाई, श्रीमान छगनभाई, श्रीमान वीरचन्दभाई त्रोभूवनदासभाई आदि प्रमुख श्रावकों की सेवा धर्मप्रेम और चातुर्मास को सफल बनाने के लिए सतत प्रयत्नशीलता चीर स्मरणीय रहेगी । जामजोधपुर का चातुर्मास एक अनूठा चातुर्मास था । पूज्यश्री के बिराजने से आशातीत धर्म ध्यान हुआ । परोपकार के अनेक कार्य हुए । इस प्रकार चातुर्मास काल आनन्दपूर्वक सम्पन्न हुआ । जामजोधपुर में पूज्जश्री आठमाहतक बिराजमान रहे । और शास्त्र लेखन का कार्य करते रहे । पंजाब केसरी का मिलनः उन दिनों में पंजाब केशरी पं. श्री प्रेमचन्दजी महाराज का चातुर्मास राजकोट था । चातुर्मास समाप्ति के बाद पंजाबकेशरी ने श्रावकों के साथ प्रार्थना की कि हम पूज्य आचार्यश्री के दर्शन करना चाहते हैं किन्तु स्वास्थ्य ठीक न होने से जामजोधपुर तक आना संभव नहीं । पूज्य श्री ने पंजाब केशरी की प्रार्थना स्वीकार करली और आपने पंजाब केशरी को दर्शन देने के लिए जामजोधपुर से विहार कर दिया । पूज्य श्री गोंडल पधारे । पंजाब केशरी ने भी राजकोट से विहार कर दिया। दोनों सन्त रत्नों का मिलन गोंडल में हुआ । आपस में खूब ही स्नेह पूर्ण वातावरण रहा। पंजाब केशरीजी ने पूज्य श्री के द्वारा लिखे गये शास्त्रों का अवलोकन किया । शास्त्र कार्य देखकर पंजाबकेशरो बडे हि प्रभावित हुए और पूज्यश्री के इस महान परिश्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करने लगे। कुछ दिन तक गोंडल में पूज्य श्री बिराजकर पुनः जेतपुर पधारे । जेतपुर में गोंडल संप्रदाय के महान् शास्त्रज्ञ आचार्य श्री पुरुषोत्तमजी महाराज सा० बिराज रहे थे । दोनों सन्तों का मिलन हुआ। आपस में खूब स्नेहभाव रहा । यहां कुछ दिन बिराजकर पूज्यश्री धोराजी होते हुए पुनः जामजोधपुर पधारे। यहां शेष काल विराजकर आपने जामजोधपुर से विहार कर दिया । नाफा पानेली कोलकी उपलेटा होते हुए जेतपुर पधारे । जेतपुर में राणपुर का श्रीसंघ चातुर्मास की विनंती करने के लिए पूज्यश्री की सेवा में आया । राणपुर श्रीसंघ की उत्कृष्ट भावना को देखकर पूज्यश्री ने राणपुर के चातुर्मास की विनंती स्वीकार कर ली । चातुर्मास की स्वीकृति से राणपुर के संघ में प्रसन्नता छागई । जेतपुर से पूज्यश्री सुलतान पुर पधारे। यहां से विहार कर आप विछिया पधारे विछीयां से पालियाद होते हुए आप बोटाद पधारे । बोटाद श्रीसंघ ने आप का भव्य स्वागत किया। यहां आप शेषकाल तक बिराजे । खूब धर्मध्यान हुआ । नियमित व्याख्यान होते थे ( बोटाद से विहार कर आप बीच के गावों को पावन करते हुए चातुर्मासार्थ राणपुर पधार गये । वि. सं. २०१२ का ५४ वां चातुर्मास राणपुर में राणपुर श्रीसंघ ने पूज्यश्री का भाव भीना स्वागत किया। राणपुर संघ सैकडों की संख्या में प्रतिदिन पूज्यश्री का प्रवचन सुनने के लिए व्याख्यान हॉल में उपस्थित होने लगे । तपस्वियों ने प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी लम्बी तपश्चर्या प्रारम्भ को । तपस्वी श्री मदनलालजी म० तथा तपस्वी श्री मांगीलालजी महाराज ने ८९ दिन की तपश्चर्या कि । तपश्चर्या की पूर्णाहुति के दिन समस्त बाजार बन्द रहै । हिंसा बन्द रही । विश्व शान्ति के लिए जाहिर प्रार्थना की गई। इस पुनीत अवसर पर हजारों व्यक्ति दर्शनार्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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