Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 429
________________ ४०२ और तमोत्सव के समय पर तहसीलदार दोरे पर होने से कोई सरकारी अडचन नहीं आई । इन दोनों तपस्वियों ने ७० दिन की सुदीर्घ तपश्चर्या की । उसका पूर ता० ३१ ८ ४४ के दिन निश्चित होने से सर्वत्र पत्र पत्रिकाओं द्वारा स्थानीय संघ की तरफ से आमन्त्रण पत्र भेजा गया । तदनुसार तपोत्सव पर, वढवाणकेम्प, साणंद वीरमगांव अहमदाबाद, चूडा, राणपुर ढसा, चीतल, अमरेली, कुंडला, राजकोट ओर आसपास के करीब चार हजार से भी अधिक जनता दामनगर तपस्विमुनियों के दर्शनार्थ आई । पाँच हजार की वस्तोवाला दामनगर इतनी बडी जनसंख्या से यात्रा धाम बन गया था। उनके रहने का भोजन का स्थानीय श्रीसंघ ने बहत उत्तम प्रबन्ध किया था । कल्पना से भी अधिक दशनार्थियों के आने पर भी श्री संघ की इतनो सुन्दर · व्यवस्था थी कि दर्शनाथीं संघ की व्यवस्था की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा करते थे । तमाम गांव की स्कूलों में दर्शनार्थिओं को ठहराये गये थे। स्वयंसेवकों का बडा उत्तम प्रबंध था । इसके अतिरिक्त एक एक घर में करीब ५०-५० मेहमानों को स्थान मिलने से ग्रामवासियों को भी सेवा का अपूर्व अवसर मिला । वढ़वाण केम्पकी स्वयं सेविका बहने श्रीमती दोनों चंपाबहन के नेतृत्व में श्राविका समूह की व्यवस्था बडी सुन्दर रही जिससे व्याख्यान श्रवण में किसी प्रकार की अडचने नहीं आई । ग्राम के बाहर स्कूल के विशाल मैदान में पूज्य श्री घासीलालजी महाराज, पं० मुनिश्री समीरमलजी म० तथा मधुर वक्ता पं० श्रीकन्हैयालालजी म० के प्रभाव शाली प्रवचनों का श्रोताओं पर बड़ा हि सुन्दर प्रभाव पडा । इस पुनित अवसर पर सेठ प्रभुदासभाई सेठ विनुभाई' मोदी सेठ केशवलालभाई, शाह मोहनलाल भाई, बगडिया सेठ जगजीवन भाई, गीरधरभाई आदि दामनगर श्री संघ की सेवा अर्व रही । इस प्रसंग पर कोई भी अनिष्ट बनाव नहीं बना । यह एक बडाही शुभ चिन्ह था । पारने के अन्तिम व्याख्यान के दिन आगम साहित्य के उद्धार के लिए भिन्न भिन्न वक्ताओं के प्रवचन हुए । भोषण के अन्त में रेल्वे कि सुविधा के लिए रेल्वे अधिकारियों का, स्वयं सेवकों का, आगन्तुक महमानों का श्रीसंघ की ओर से आभार माना गया । वढवाण केम्प के स्टेशन मास्टर चत्रभुज नानचंद भाई को दामनगर को इस अपूर्व सेवा के लिए आभार के साथ खूब धन्यवाद दिया । और सेवाभाव की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की । दामनगर में मानो दीपमालिकोमहोत्सव ही मनाया जा रहा हो ऐसा सर्वको आभास हो रहा था । रात्रि के समय बहने धार्मिक गीत गाकर उत्सव में चार चान्द लगा रही थी । इस अवसर पर इन्दोर रहने वाले दानवीर सेट केशवलाल हरिचन्द मोदी, श्री मोरारजीभाई कानजीभाई कापडिया, श्री मोहनलाल लीलाचंद कपासी ने दामनगर के १४० घरों में प्रत्येक के घर जर्मन सल्वर के प्याले, एवं दखा निवासी सेठ ने आधे शेर सुखडी के साथ पीतल को तपेलियों को एवं अहमदाबाद-निवासी शा. तलकचंद भाइ व खीभचंद भाई ने पूंजनियों की एवं लम्बे झाडूओं की प्रभावना की। समस्त गांव में इस दिन पाखी पाली गई । उस दिन जीवहिंसा बंद रखकर ॐ शान्ति की प्रार्थना की । शाह मनमुखलाल जीवनलाल भाई ने सामुहिक आयंबिल तप करवाया था जिसमें सैकडों स्त्री पुरुषों ने भाग लिया । सेठश्री विनयचन्दभाई व श्री जगजीवनभाई बगडिया दामनगर, श्री गुलाबचंद भाई महता राजकोट, रेल्वे इंजिनियर श्रीछलिदास भाई कोटारी बोटाद आदि ने पूज्य श्री द्वारा जैन शास्त्रों की संस्कृत हिन्दी, गुजराती भाषा में टोका लिखाने का कार्य प्रारंभ कराया । पूज्यश्री को लेखन कार्य में मदद करने के लिए तीन पण्डित श्री चतुरानन्दन झा० ५० मूलचन्दजी व्यास, तथा पण्डित मुनीन्द्रमिश्रजी को रखे गये । लेखन कार्य प्रारंभ होने से पूज्य श्री का सौराष्ट्र पधारना सफल हुआ । चातुर्मास काल में अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक कार्य हुए । यहां भावनगर लाठी बोट द गढडों सावरकुन्डला विगेरे श्रीसंघों की विनंतियें आई इस अवसर पर भावनगर संघ भी विनंति के लिये Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480