Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 416
________________ आज दिन से सब जीव हिंसा बन्द कीया है।' (५) श्रीआदमाताजी ठिकाना रावला में बकरा चढता है सो आज मिती से बिलकुल बन्द कर दिया है। आज दिन बाद मिठाई का नीवेद बनाकर माताजी के पूजन होगा। (६) श्रीमान ठाकुर साहब अपने हाथ से झटका नहों करने की प्रतिज्ञा की। न कोई छोटे जीव पर गोली चलानी । हिरण वगैरा लाबा तीतर पंखी वगैरा को नहीं मरना, (७) एक बकरा हरसाल अमरिया तपस्वीराज के नाम से समस्त गांववाले करते रहेंगे । (८) अग्यारस अमावस पुनम को कोई जीवहिंसा और शिकार नहीं करेगा और हल भी नहीं जोतेगा यानी सब तरेह का अगता रहेगा । उपर मुजब सोगन श्री च्यार भुजाजी के सामने श्री एकलिंगजी व सूरजनारायण कि साक्षीसु किदा सो पाला जावेगा । याने देवताओं को मीठो प्रसादो होवेगा । माताजी रे कोई जीव नहीं मरेगा । माताजीरा नाम से कोई भी ठोकाने जीव नहीं मरेगा अगर कोई जीव आवेगा तो उसे अमरिया कर छोड दिया जावेगा। यह सोगन कर पट्टा ठाकुर साहब खुद व समस्त गांववाला कीदा सो साबत है। १९९९ का फागन सुदी २ गुरुवार दः अ. गीरधरलाल गोगुन्दा निवासी ठाकुर साहब श्री परबतसिंगजी व समस्त गांववालों के कहने से लिखा है । दः ठाकर साहब के अंगूठे की निशानी स्वामी जो महाराज २२ संप्रदाय के पूज्य श्री घासीलालजी महाराज साहब.. आपका पधारना बागपूरा हुआ और आपसे जेवडा पधारने की विनंति की गई। उस पर आपका आज जेवडा पधारना हुआ । आपके उपदेश से ॐ शान्ति की प्रार्थना कराई गई । इससे मुझे बहु खुशी हुई और प्राणशरण साहब. दौलतसिंहजी साहब तथा सरदारमलजी सा. काफी कोशिश करके ॐ शान्ति प्रार्थना करवाई । मैं इस मोके पर सदा के लिए प्रतिज्ञा नीचे मुजव करता हूँ । (१) पांच बकरे हरसाल अमरिया करूँगा । (२) श्रावन भादवें में शिकार नहीं करूँगा (३) महिने में चार रात में (दोनो अग्यारस, अमावस पूनम को) नहीं खाऊंगा। (४) छोटे जानवर व तालाब में मच्छियें मारना बन्द करवाऊंगा । (५) ॐ शान्ति का नियमित स्मरण करूँगा । (६) दशहरे के मोके पर माताजी के स्थान पर बकरे वगेरा जीवों को मारना सदा के लिए बन्द किया जाता है। इन सब कलमों को पालूंगा ता०' ४. ६. ४३ दः रावतजी केसरसिंह ____ "श्री एकलिंगजी" श्रीरामजी" अर्ज तरफ ठाकुर कर्णसिंह पलासिया (झालावाड) ब खीदमत स्वामीजी महाराज आचार्य पूज्यश्री घासीलालजी महाराज आपका पधारना कल झाडोल में हुआ । और बगीचे में ॐ शान्ति मनाई गई । इसलिए आपके उपदेश से ...शान्ति की खुशी में प्रतिज्ञा करता हूँ जिसकी सदा के लिए पाबन्दी रखी जावेगी । (१) आज अन्दर जनाने में से १ बकरा अमरिया किया गया । व गऊवों को घास १) रुपये का दिया जावेगा । (२) दशहरे पर जो पांच बकरिये बलि किये जाते थे वे सदा के लिए बन्द कर दिये जावेंगे और उन्हें अमरियाँ कर दूंगा । (३) मेरे यहां माताजो के नवरात्रि में एक बकरा बलिदान होता है उसे माफ कर सदा के लिए अमरिया कर दूंगा । (४) महीने में चार रात्रि भोजन (यानी दो ग्यारस अमावस व पूनम को) नहीं करूंगा। (५) श्रावन भादवे में शिकार नहीं करूंगा । (६) छोटे जानवर तीतर लावा बटेर हरण परिन्दे आदि सर्व पशु पक्षियों की शिकार सदा के लिए बन्द करता हूँ। पजूषन में अगता पालूगा फकत १९९१ का जेठकृष्ण ११ ता० १९ मई ४३ दः ठाकुर कर्णसिंह पलासिया पट्टे का संजेली स्टेट प्रिय प्रजाजन, ___मारी पासे केटलीक गांमनी महान व्यक्तिओए आवी ने जाहेर कयु के संजेली मां एक महान पुरुष पधारेला छे । तेमनी इज्छा ता० १५ । ५। १९४१ वार गुरुवार ना दिवसे अशान्ति दिवस तरीके पालवो जोइए. आ बाबत अमने घणीज प्रशंसनीय लागे छे । हु पण ते विचारने उत्तेजन आपु छु । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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