Book Title: Ghasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Author(s): Rupendra Kumar
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 415
________________ ३८८ (४) बीड - नाडिया जिसका घास पूरा कट जाने पर इजाजत बिनाकिमत पुन्यार्थ मवेसियान को चराने के लिए दी गई है इसके अलावा जिन बिडों का घास कट जाने पर जो चराई लेता हूं उसे पुण्वार्थ में लगाउंगा | लि० ठाकुर साहब का हुक्म से फक्त ११ मार्च स० १९४४ मिति चेत्रवदि २ सं. २००० दः रिखबचंद देवलिया वाला श्री ठाकोर साहब का हुक्मसे । || श्री परमेश्वरजी || श्री गोपालजी अज ठिकाना श्री रायपुर मु० रायपुर ( मारवाड ) चूकि पूज्यओ घासीलालजी महाराज से पधारणो रायपुर में हुओ ने श्रीमान् रावले साहब महाराज श्रीरा दर्शन करने पधार्या ने उपदेश सुणियो सो श्री महाराज साहबरा फरमावणसु हर महिनारी कृष्ण पक्षरी ९ नवमी ने जीवहिंसा से अगतो मेरे राज में व गांव में पलावणो मुकरर कराया है। सो बारे महिना में १२ (बारे अगता उपर लिखिया मुजब तिथिरा साल हरसाल पलाया जावसी । यो परवानो श्रीमान् रावले साहिबारा हुक्मसुं कर दियो है। संवत् २००० रा चैत्र शुक्ला ८ मेहता अमोलकचंद नकल लिखी वही पाने नं. १६२ नं. ०६४१ ॥ श्री एकलिंगजी || || श्री रामजो।। ता. ९. २. ४३ डिपुटी कलेक्टरान वो ठिकाने जात उमरावान को लिखा गया ता० ९. २. हु० नं. ५६३९ मवरखा ता. ३०.१.४३ इतल्ला दी जाती है कि अगता रखा जाय बडे मवाजियात इजलाय मेवाड में रखया जावे । सं १९९९ महासुद ५ । नकल हुक्म अज महकमे आलिये दरबार सैलाना नम्बर ४१६ नाम. पंचान जैन स्थानक० मागला. बाबत इतला करने पलती बर्ताना ता० ३.१२.४० अर्जी सकल पंचान महाजन जैनी चम्पालाल की तरफ से चम्पालाल महाजन साकिन सैलाना ता० ३. १२.४० व खुलासे के हमारे धर्माचार्य पूज्य श्री घासीलालजी महाराज साहब आदि पाँच सन्तों का सैलाने पधारना हुआ है और जहां तहां पधारते हैं। वहां सब जगह राजा, प्रजा और सारी राजधानी के सुख शान्ति के लिए एक रोज पलती रखकर ॐ शान्ति की प्रार्थना करवाते हैं। इसलिए अगहन सुदी ७ सातम शुक्रवार के दिन उपर मुताबिक ता० ६. १२. ४० के दिन समस्त राज्य में पलती रखवा कर ॐ शान्ति का जाप प्रार्थना कराई जाने के लिए व नजरे परवरीष हुक्म होने को महकमे आलिये इजलास पास में पेश हुई। उस पर महकमे आलिये इजलास खास से हुक्म रो० नं. १४१ ता० ३. १२. ४०. को फरमाया गया के दरख्वास्त मन्जूर की जाती है । ता० ६. १२. ४० को पलती मनाई जाय। लिहाजा हु. दः दिवान दरबार १९४३ व सिलसिले बडे कसबों में तमाम श्री एकलिंगजी श्रीरामजी सिद्ध श्री महाराज साहेब श्री १०८ श्री घासीलालजी महाराज आदि ठा० से ग्राम वाटी विराजमान होने पर ग्राम कदमाल के समस्त जनों की प्रार्थना से दया कर बड़े महाराज साहब व श्री तपस्वीराज मा. ठा० - ३ से कदमाल पधारना हुआ सो ग्रामाधीश ठाकुर सा. श्री १८५ परबतसिंगजी व समस्त ग्रामवाला श्री प्यार भुजाजी के मन्दिर ऊपर व्याख्यान सत्य उपदेश सुन नीचे लीखीया मुजब प्रतिज्ञा कर यह पट्टा महाराज साहब श्री तपस्वीराज के भेट किया सो मां को वंश रहेगा जबतक पालता रेवांगा (१) माताजी अम्बाजी तलाव उपर बिराजे ज्यारे एक बकरा चढ़ता है वो आज दिन से बिलकुल बन्द है । (२) खेडादेवी माजी ग्राम में विराजे ज्यारे बकरा व पाडा चडता है सो आज दिन से बिलकुल बन्द है । (3) अमलोइजी भीलवाड बिराजे ज्यारे भी जीव चढ़ता है सो आज दिन से बिलकुल बन्द है । बोलमा आयगा जीने अमरीया कर दिया जावेगा । ( ४ ) चामुण्डा माताजी बलार्यो के घरों के पास है वहां की भी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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