Book Title: Dwadash Koshanam Sangraha
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % D -- हारावली अर्धसोला - काधूममहिषीहिममेंटिःकुहेलिकामापोताछादनमाहु॥ स्तवरकमथवस्त्रकुट्टिमकवयः॥तंत्रविमुक्तंवासोनिष्प्रवणि | निप्रवाणिश्चमहाघोषयारोहंह,पण्याजिरं विदः गबदमानुषसंकीर्णेनिघंटंचकरांगण॥२॥७॥शालभंजीदा। रुगर्भाकुरंटीदारुपुत्रिकाकादंबिनीनवोमेधःकालीस्याका लिकाऽपिच॥१॥क्रोशध्वनि-कोशतालोढक्काविजयमर्दलः / शास्यास्पतिपत्तिःपटहोलंपापह३त्यपि॥कुकूलकाय, बलनंतनुदेशनं विदुः॥शिरवेशीर्षरांचशीर्षण्यंशीर्षक: चतत्॥७३॥स्याजालिकालोहमयीजालपायांगरक्षिणी 2 // पन्ध्रीपादविरजा-कोशीपारथी४भवेत्॥७४ारुचकंलवणं क्षारतीक्ष्णजलरसंविदुः ज्योति/जंचखद्योतंध्यांतोन्मेष / तमोमणिः ॥७॥जलशूकरजलजिव्होजलकंटकवारी all यानक्रेजलनकुलजलवितालौनीराखुजलवावुद्रे॥७६ // शिशमारोजलकपिश्चपलांगोऽसिपुच्छकायाहोजलकिराट| श्चनराजोजलांटकः४॥७॥मृतकांतकश्वभौरीकधूर्तश। यालुवचकाभरुजः॥शालामृगोस्थिभक्षाग्राममृगोमंडल का पिलः॥८॥उल्कामुखीशृगालीयादीप्तजिन्हे तिसामता || स्केधवादानुशेकश्वशृंगीगौरक्षाधूर्तिलः॥७॥ हेरंबकासरगे। जलयंत्रार्थगृहस्थरप्रेतादिगृहीतस्या६६। हिमस्याशवालयोत्सृष्ट वषस्या विषाक्तास्त्रादतपभुमासस्याकुहेलिकाया:४ापोता। दनस्य३तंत्रावमुक्तवाससः १६ाहहस्याबदुनरसंकीर्णहस्य 2070 काठपुत्तलिकायाः४नूतनमेएनालस्य ३७॥ढकापा-४पटहस्य३७२|| वस्त्रांगरक्षिणयाः शिरस्त्राणस्य४।७३ लौहनर्मण:२उपानहः४।७५० // क्षारलवणस्य खद्योतस्प४॥७॥नकस्यउद्रस्य।०६शिशुमारस्य ग्राहस्य४ा शृगालस्य शुनःउल्कामुखीशृगाल्याश - ana - - - - rammammomd For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301