Book Title: Dwadash Koshanam Sangraha
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Page 234
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Pururammmum - - m - - one - ---- दारावली -अर्धश्लो चरसाशिवा॥२॥सहरबीर्याविरजाभार्गवीमंडलीसहा५] प्रहर्षिणीनिशाहाचलसागंधपलाशिका४॥३॥मृदषयः भूकतरुःशिरीषोविषनाशन:४॥वराहकालोकथित सूयो। वर्तरस्तुशाब्दिकैः॥रावजवल्यास्थिसंहारोहस्तिशृंडीव नालिकाावनतिक्तस्त्रियांग्रीष्मातिरीट:पक्षसेटरः॥५॥ मधुपुष्यामधूकश्चगडपुष्पोमधुमः ॥वृत्तपुष्य प्रावषेण्यो हास्ट्रिक्तहलिप्रियः४॥हासलात्वचिसुगंधाचपुटिकाचर्म। संभवा ४ाकृष्भांडकापुषाफलोधनवासश्ववेष्टकः४॥७॥वे|| षण कासमवपत्रोपस्कर३इत्यपिओकोदशालीप्राचीर। मोघोलिरबहालिका॥५॥॥कल्पवर्तःप्रातराश प्रातर्भोज! निमिष्यते॥शृगालिकाचडिंबंचडमविद्रयो पिचारका धपालामतुंगश्वनारिकेलःपुटोदकः॥गुडदारुमधुरण मसिपत्रोमहारसः४॥१०॥राजालुकोमहाकंदोमूलकोहस्ति। दंतकःशदरसातिक्तगुंजासरघाविपर्कटी४॥॥क्षुद्रप। चचांगेरौक्षुद्राम्लाचाम्ललोणिका प्राचीनामलकरतंबद || रामलकं३तथा॥२॥पिष्टसौरभमेकांगंश्रीरवंटुमालय विदुः / मृगनाभिर्मंगमदोगंधशेखर३मित्यपि॥३॥सिता_तरूसा चवरकरसकेसरं॥४ाकालेयंवंशकंजोगकालीयवरवंदना हातणसारामृत्सुफलारंभाचकदली भवेतामध्वासितः - - r --- - -- a - - कस्याकेतकस्प४धात्र्या:६।।दूर्वाया:गंधपलासिकायाः / 103 शिरीषस्य सूर्यावर्तस्यराशाअस्थिसंहारस्य लोध्रस्य३।५।। मधूकरसस्यहमदंबस्यहारएलाया: कूभाडस्पछाकाशमई / स्यभितेलापात जनस्य३भीत्या पलायनस्यशाला नारिकेल || स्यहो.४।१०।मूलस्यहकरंजस्य आम्ललोणिका या पानी नामलकस्य३२॥ श्रीखंडस्य४३कस्तूर्याः॥३॥कर्पूरस्य अरुति / anaamaan - - - For Private and Personal Use Only

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