Book Title: Dwadash Koshanam Sangraha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः७१ h - कुलिशध्वजकापणनिधानमुलाकरिशंगवलयासापट लपवालचषकोपवासकासारकटकसंतानाः॥४॥आकाशकुं॥ जकुतपोदनवारवाणपुस्तावतंसनरवमंडपकछपुलाकीता रकंकणतडागकिरीटराएतीर्थत्रणस्तवकसंक्रमपीठकानि ॥४२॥समरसरकरणविटपौगनागैरिकदैवतकुटागारागो || थमुहर्त्तदिवसफलानिमासनिदाघमुसलतिलकानि॥४| बल्मीकबाल्हीकषणद्रोणगांडीवनिगडानिचमुकलादिच वितेयंशिष्टसंदर्भतोप।४४॥अथलीनपुंसकयोकेलिम॥ णिोनिमसिर्मनिःमरीचिशाल्मलिःस्वाति श्रेणिर्मुष्टिस्तिथिः सृणिः॥१५॥ऊर्मिर्गभस्तिरशनिवैपार्णीषुधिराशयः॥वस्तिश्च// किस्कु कंदुचवेश्वतन्निबनाइवधा४६॥गंडूषगर्जनागरभुज कीलज्वालवर्तकबीडाउत्कंठसटवराटकरमसाःस्त्रीत्वेतु टाबंता:॥४७॥शल्लकोविक कीर-शारस्तूगोपटाकरः॥श फरोवेतसश्वामीबियाडांताप्रकीर्तिताः॥४॥स्वीकीबयो रुडीमार्दिन्योतिःसदोषिः॥सखेलक्षवाणिज्यंचवडिशको डपाटलातारकरसननीतमेतेटीबतका:स्त्रियामड्यंतात नारास्थानस्थलानिपुरपाटलं॥५०॥त्रिलिंग्यातुप्रतिसरर) स्फुलिंगनखरालाकंदरंशृंखलेनालंवल्लरफलमुस्तकाः ॥१॥जंभवटाबंताएतेलियामथविभीतकमोहरीतकाटक तटकबाटाश्वगुणेक्टः॥५॥मंडलंशलभभल्लातकंकलशकेदलौ| मृणालामलको दादिमश्वरयंता:लियामिमाकरणेल्पुत्रिषु, यथातस्यव्याख्यानमित्यदः॥सूत्रकायनशावनुमानइतीछ ति॥५४॥॥इतिलिंगादिसंग्रहवर्गः॥ ॥दृश्प्रयोगायेशब्दाः प्रायस्तइहकीर्तिताः॥अप्रयुक्तास्तपाणिन्यादिषदृष्ट्याप्युपेक्षिा ता:॥५५॥तितीयकाण्डःसमाप्तातिश्रीपुरुषोत्तमदेवरचित स्त्रिकादशेषाभिधानकोश:समासः॥ 7 // 7 // // ll -- / mor - e -- - - - - . For Private and Personal Use Only

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