Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 8
________________ द्रव्य संग्रह प्र०-जीव किसे कहते हैं ? ० - ( क ) जिसमें चेतना गुण पाया जाता है उसे जीव कहते हैं जैसे ---मनुष्य, पशु-पक्षी, देवनारकी आदि । अथवा ( ख ) जिसमें सुख, सत्ता, चैतन्य और बोध हो, उसे जीव कहते हैं । प्र० - अजीव किसे कहते हैं ? उ०- जिसमें ज्ञान दर्शन चेतना नहीं हो वह अजीव है। अजीव के पाँच भेद हैं-- (१) पुद्गल, (२) धर्मद्रव्य, (३) अधर्मद्रव्य, (४) आकाशद्रव्य और (५) कालद्रव्य । प्र० तीर्थंकर कितने इन्द्रों से वन्दनीय हैं ? ४० - तीर्थंकर सौ इन्द्रों से वन्दनीय हैं । प्र० - सौ इन्द्र कौन से हैं ? भवणालय चालीसा, वितरदेवाण होंति बत्तीसा । कप्पामर चवीसा, चन्दो सूरो णरो तिरिओ || भवनवासियों के ४० इन्द्र, व्यन्तरों के ३२, कल्पवासियों के २४, ज्योतिषियों के २न्द्र और सूर्य मनुष्यों का १-वर्ती तथा पशुओं का १ - सिंह । कुल १०० (४०+३२+२४ +२+१+१) । प्र० - इस ग्रन्थ में कितने अधिकार है ? उ०- इस ग्रन्थ में तीन अधिकार है- १ - जीव अजीव अधिकार । २-सव आदि तत्त्व वर्णन अधिकार । ३- मोकमार्ग प्रतिपादक अधिकार । प्र० - प्रथम अधिकार में गाथाएं कितनी है ? उ०- प्रथम अधिकार में २७ गाथाएँ हैं । प्र० - प्रथम अधिकार में वर्णित विषय बताइये । उ०- प्रथम अधिकार में एक गाया मंगलाचरण रूप है। गाया २ से १४ तक जीव द्रव्य का व्यवहार और निश्चय दोनों नयों से विवेषम है। गाया १५ से २७ तक बजोव द्रव्यों का विवेचन है। उनमें भो गाथा नं. १५ में अजीव द्रव्य के मेद, १६ में पुद्गल द्रव्य, १७ में धर्मद्रव्य, १८ में अधर्म द्रव्य, गाथा १९-२० में आकाश द्रव्य, २१-२२ में काल द्रव्य, २३२५ तक अस्तिकायों का वर्णन, २६ में पुद्गल परमाणु का बहुप्रदेशीपना उपचार से तथा रबों गाथा में प्रदेश का लक्षण है। 1 .

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