Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 24
________________ द्रव्य संग्रह प्र०-पर्याप्तियों के स्वामी बताइये । ( किस जीव के कितनी पर्याप्तियां उ.-एकेन्द्रिय जीव के ४ पर्याप्तियां-आहार, शरोर, इन्द्रिय और श्वासोच्छ्वास होती हैं। विकलत्रय जीव व असंझी पंचेन्द्रिय जोब के मन पर्याप्ति को छोड़कर पांच होती हैं तथा सैनी पञ्चेन्द्रिय जीव के छहों पर्याप्तियां होती हैं। प्रम-जीवसमास का लक्षण बताइये। उ-जिनके द्वारा अनेक जीव तथा उनकी अनेक प्रकार को जाति जादी का सपना को अनेक पायी या संग्रह करने वाले होने से जोवसमास कहते हैं। प्रा-चौदह जीवसमास बताइये । ३०-एकेन्द्रिय सूम, बादर -२ दो इन्द्रिय तीन इन्द्रिय चार इन्द्रिय पञ्चेन्द्रिय असैनी = १ पञ्चेन्द्रिय सैनी -१-७ ये सात प्रकार के जीव पर्याप्त भी होते हैं। अपर्याप्त भी होते हैं अतः ७४२-१४ जीवसमास । प्र-सिब भगवान के कितने जीवसमास हैं ? २०-सिब भगवान जीवसमास से रहित हैं। ४ - मार्गणा व गुणस्थान अपेक्षा जीव के भेव मगणगुणठाणेहि य घडवसाहिं हवंति तह असुबगया । विष्णेया संसारी , सम्बे सुबा हासुबणया ॥१३॥ मम्बयाई (तह ) तथा । (.संसारी) सभी संसारी जोव। (मसुद्धणया ) व्यवहारनय से । (पउदहि ) चौदह । ( मग्गणगुणठाkि) मार्गणा और गुणस्थान अपेक्षा चौदह प्रकार के । ( हवंति) होते हैं । (मह) और। (सुद्धगया ) शुनिश्चयनय की दृष्टि से। ( सम्वे ) सभी जोन । (6) नियम से । (सुद्धा ) शुद्ध । ( विष्णेया) जानने चाहिए ।

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