Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ द्रव्य संग्रह प्र-तम किसे कहते हैं? उ०-जिससे दृष्टि में प्रतिबंध होता है और जो प्रकाश का विरोधी है वह तम कहलाता है। प्रा-छाया किसे कहते हैं ? उ.-प्रकाश को रोकने वाले पदार्थों के निमित्त से जो पैदा होती है वह छाया कहलाती है। प्र०-आतप किसे कहते हैं ? उल-जो सूर्य के निमित्त से उष्ण प्रकाश होता है उसे आतप कहते. -उद्योत किसे कहते हैं? जगमणि दौर जानवानि पिपिसेको मान होता है उसे उद्योत कहते हैं । (ऊपर कहे ये सब शब्दादिक पुदगल द्रव्य के विकारपर्याय हैं)। धर्मद्रव्य का स्वरूप गाहपरिगयाण धम्मो, पुग्गल जीवाण गमणसहयारी । सोयं जह मच्छाणं अच्छता व सो जेई ॥१७॥ बन्चया (जह ) जैसे । ( गइपरिणयाण ) चलते हुए। ( मच्छाणं ) मछलियों को ( गमणसहयारो ) चलने में सहायक । ( तोयं ) जल होता है । (सह) उसी प्रकार । ( गइपरिणयाण ) चलते हुए। ( पुग्गलजीवाण ) जीव और पुद्गल को ( गहणसहयारी) चलने में सहायक । (धम्मो) धर्मद्रव्य होता है। ( सो ) वह धर्मद्रव्य । (अच्छता ) न चलते हुए ओव और पुद्गल को ( चलने में सहायक ) (ब) नहीं। (गेई ) चलाता है। जैसे जल चलती हुई मछलियों को चलने में सहायक होता है उसो प्रकार धर्मद्रव्य चलते जीव और पुदगल को चलने में सहकारी होता है। नहीं चलते हुए को नहीं। प्र-निमित कितने प्रकार के होते हैं। 7०-दो प्रकार के-१-प्रेरक निमित्त, २-उवासोन निर्मित।

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83