Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 59
________________ द्रव्य संग्रह मोक्ष के भेद व लक्षण सम्बस्स कम्मणो जो लयहेतू अपणो परिणामो। ओ स भावमोक्तो बब्वविमोखो प कम्मपुहभावो ॥२७॥ अनाया तो जो! (पणे) भागमा ! ! परिणामो) परिणाम । (सम्वस्स) समस्त । ( कम्मणो) कर्मों के। (खयहेद्र)क्षय का कारण है। (स ) वह । (हु ) निश्चय से । ( भावमोखो) भावमोश है। (२) और। (कम्मपुहभावो ) कर्मों का आरमा से पृपक होना । ( दयवि. मोक्खो) द्रव्यमोक्ष ! (ओ) जानना चाहिए। ___ आत्मा के जो परिणाम समस्त कर्मों के क्षय में कारण हैं वह निश्चय से भाव मोक्ष है और कर्मों का आत्मा से पृथक होना द्रष्य मोक्ष जानना चाहिए। प्रम-मोक्ष किसे कहते हैं ? इसके भेद बताइये। उ.-समस्त कर्मों का आत्मा से अलग हो जाना मोक्ष कहलाता है। मोश के दो भेद हैं-भाव मोक्ष व द्रव्य मोक। प्रा-मोक्ष किसे प्राप्त होता है ? उ.-कर्मरहित जीव को मोक्ष प्राप्त होता है। प्र.-मोक्ष प्राप्त जीव कहाँ रहता है ? वहाँ से आता है या नहीं ? उ०-मोक्ष प्राप्त जीव लोक के अग्रभाग, सियालय में रहता है। वह यहां से फिर लौटकर कभी भी नहीं आता। प्रा-क्या संसार के सभी जीव मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं? उ.-नहीं, भव्य जीव ही मोक्ष प्राप्त कर सकते है। प्र.-भव्य किसे कहते हैं ? उ-जिसमें सम्यग्दर्शन, सभ्यज्ञान और सम्यक्चारित्र प्राप्त करने को योग्यता है, वह भव्य है ।

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