Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 62
________________ द्रव्य संग्रह तृतीयोऽधिकार व्यवहार और मिश्चय मोक्षमार्ग का लक्षण सम्मईसणणाणं धरणं मोक्तस कारणं जाणे । बवहारा गिसचयो तसिपमइओ जियो अप्पा ॥३९॥ अम्बचार्य (बबहारा ) व्यवहारनय से । ( सम्मइंसणणाणं) सम्यग्दर्शन, सम्यगशान । (चरण) सम्यचारित्र को। (मोक्खस्स) मोक्ष का। ( कारणं) कारण। (जाणे ) जानो। । णिच्चयदो) निश्वयनय से । ( तत्तियमइओ) सम्यग्दर्शन, सम्परज्ञान और सम्यक्चारित्र सहित । ( गिओ) अपना । ( अप्पा ) आत्मा ( मोक्ष का कारण जानो)। धर्म व्यवहारनय से सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यकचारिष को मोक्ष का कारण जानो तथा निश्चयनय से सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यकपारित्र सहित अपना मारमा मोक्ष का कारण जानो। प्र०-मोक्ष क्या है? उ०-आठ कर्मा से आस्मा का पूर्ण छुटकारा पाना मोक्ष है। प्र.-मोक्ष मार्ग कितने प्रकार के हैं ? उक-दो प्रकार के हैं-व्यवहार मोक्षमार्ग और निश्चय मोक्षमागं । प्र०-व्यवहार मोक्षमार्ग किसे कहते हैं। उ.-व्यवहारनय से सम्प्रदर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र मोक्षमार्ग है। प्र०-निश्चय मोक्षमार्ग कौन-सा है। उ.-रत्नत्रय युक्त आत्मा को निश्चय मोक्षमार्ग कहते हैं। प्र०-संसार में अनुपम रत्न बताइये। उ-रत्नत्रय-सम्यग्दर्शन, सम्यक्सान और सम्यक्धारित्र । रत्नत्रय युक्त आत्मा ही मोक्ष का कारण क्यों ? रयणतये ण बट्टा , अप्पाणं मुयस अन्नविम्हि । तम्हा तत्तियमइमओ,होवि हु मोक्खस्स कारणं आवा ॥४०॥

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