Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 22
________________ द्रय संग्रह १६ मन्वयार्थ ( पुढविजलते वाळवण दो) पृथ्वीका मिक, जलकाधिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक ( विविथावरेदी ) अनेक प्रकार के स्थावर एकेन्द्रिय जोव हैं। ( संखादी ) शंख आदि । (विगतिगचदुपंचषखा ) दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीव । ( तसजीवा ) त्रस जोब | ( होंति ) होते हैं । वर्ष पृथ्वी कायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक-ये स्थावर जीव हैं तथा शंखादि दो, तीन, चार और पांच इन्द्रिय जीवन कहलाते हैं। प्र० - संसारी जीवों के कितने भेद है ? ० - संसारी जीवों के २ भेद हैं- १-स्थावर २- त्रस । प्र० स्वावर कौन जोव है ? उ०- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पतिकायिक जीव स्थावर हैं । प्र०-जस जोव कौन से हैं ? उ०- दो इन्द्रिय से पाँच इन्द्रिय तक के जीव स है। प्र०-शंख, चींटी, मक्खी, मनुष्य आदि कितने इन्द्रिय जीव है ? उ०- शंख-दो इन्द्रिय जीव घोंटो - तीन इन्द्रिय जोव । मक्खीचार इन्दिय जीव । मनुष्य, नारकी, देव, हाथो, घोड़ा आदि पंचेन्द्रिय जीव हैं । प्र० - जीव स्थावर या त्रस जीवों में किस कर्म के उदय से पैदा: होता है ? ३०-स्थावर नाम कर्म के उदय से जोव स्थावर जीवों में उत्पन्न होता है तथा जस नाम कर्म के उदय से त्रस जीवों में उत्पन्न होता है। चौवह जीवसमास समजा अमा गेया पंचिदिय जिम्ममा परे सब्बे । बावरसुहमेहंदी सब्बे पज्जत इबराय ॥१२॥ ग्रन्ययार्थ (पाँचदिय) पंचेन्द्रिय जोव । ( समणा ) संज्ञो (ममणा )

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