Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 14
________________ द्रव्य संग्रह प्र० - मन:पर्ययज्ञान किसे कहते हैं ? ०-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव को मर्यादापूर्वक जो दूसरे के मन में तिष्ठते रूपो पदार्थों को स्पष्ट जानता है, उसे मन:पर्ययज्ञान कहते हैं। प्रo - केवलज्ञान किसे कहते हैं ? उ०-मिका साथ जानने वाले ज्ञान को केवलज्ञान कहते हैं । प्र०-मति श्रुति अवधिज्ञान सच्चे और झूठे कैसे होते हैं ? समस्स द्रयों और उनको समस्त पर्यायों को एक उ०- ये दोनों ज्ञान जब सम्यग्दृष्टि के होते हैं तब सत्य कहलाते हैं और जब मिध्यादृष्टि के होते हैं तब मिथ्या या झूठे कहलाते हैं । प्र० - प्रत्यक्षज्ञान किसे कहते हैं ? उ०- इन्द्रिय आदि की सहायता के बिना सिर्फ आस्मा से होने वाला ज्ञान प्रत्यक्ष कहलाता है । प्र०-परोक्षज्ञान किसे कहते हैं ? # ० - इन्द्रिय और आलोक आदि की सहायता से जो ज्ञान होता है उसे परोक्ष ज्ञान कहते हैं । प्र०- एक व्यक्ति आँखों से रस्सी को प्रत्यक्ष देख रहा है, उसका ज्ञान प्रत्यक्ष है या परोक्ष ? ०-इन्द्रियों की सहायता से ज्ञान हो रहा है इसलिए परोक्ष है । प्र० - एक सम्यग्दृष्टि मी को माँ कहता है, भूल से माँ को बहन मी कहता है, उसका ज्ञान सम्यक है या मिथ्या ? उ०- सम्यक दर्शन का आश्रय होने से सम्यग्दृष्टि का ज्ञान सम्यकज्ञान है। प्र०- एक मिध्यादृष्टि साँप को सांप और रस्सी को रस्सो जानता है, उसका ज्ञान सम्यक है या मिध्या ? उ०- मिध्यादृष्टि का ज्ञान मिथ्या हो है । प्र०- प्रत्यक्ष ज्ञान कौन-कौन से हैं ? ० अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान ओर केवलज्ञान - ये प्रत्यक्ष ज्ञान है। इनमें भो अवधिज्ञान और मन:पर्ययज्ञान विकलपारमार्थिक हैं और केवलज्ञान सकलपारमार्थिक प्रत्यक्ष है। अथवा अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान विकल प्रत्यक्ष है और केवलशान सकल प्रत्यक्ष है ।

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