Book Title: Dravyasangrah Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ द्रव्यास्त्रव का स्वरूप व भेद भावबन्ध व द्रव्यबन्ध का लक्षण बन्ध के चार भेद व उनके कारण भावसंवर और द्रव्यसंवर का लक्षण माक्संवर के भेद निर्जरा का लक्षण व उसके भेद मोक्ष के भेद व लक्षण पुण्य और पाप का निरूपण तृतीय अधिकार व्यवहार और निश्चय माक्षमार्ग का लक्षण रत्नत्रय युक्त आत्मा हो माक्ष का कारण क्यों ? सम्यक दर्शन किसे कहते हैं सम्यक् ज्ञान का स्वरूप दर्शनोपयोग का स्वरूप दर्शन और ज्ञान की उत्पत्ति का नियम व्यवहार चारित्र का स्वरूप निश्चय चारित्र का स्वरूप मोक्ष के हेतुओं का पाने के लिए ध्यान को प्रेरणा ध्यान करने का उपाय ध्यान करने योग्य मन्त्र मरहन्त परमेष्ठी का स्वरूप सिद्ध परमेष्ठी का स्वरूप आचार्य परमेष्ठो का स्वरूप उपाध्याय परमेष्ठी का स्वरूप साधु परमेष्ठी का स्वरूप ध्येय, ध्याता, ध्यान का स्वरूप परम ध्यान का लक्षण ध्यान के उपाय ग्रन्थकार को प्रार्थना * * * * * * * * ४८ ५० ५३ ५४ ५६ ५६ ५७ ५९ ५९ ६० ६१ ६२ ६३ ६३. ६५ ६८ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७५ 1919Page Navigation
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