Book Title: Dravyasangrah Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 5
________________ विषयानुक्रमणिका प्रथम अधिकार मंगलाचरण जोव सम्बन्धी नो अधिकार जीव का लक्षण उपयोग के मेद ज्ञानोपयोग के भेद नयापेक्षा जोब का लक्षण अमूर्तस्व अधिकार व्यवहारनय मे जीव कर्मों का कर्ता है जीव व्यवहार से कर्मफल का भोक्ता है जोव स्वदेह प्रमाण है जीव को संसारी अवस्था चौदह जीव समास मार्गणा और गुणस्थान को अपेक्षा जोव के मेद जीव को सिद्धत्व और ऊर्ध्वगमनत्व अवस्था अजीव द्रव्यों के नाम और उनके मूर्तिक- अमूर्तिकपने का वर्णन पुद्गल द्रव्य की पर्यायें धर्म-द्रव्य का स्वरूप अधर्म-द्रव्य का स्वरूप आकाश द्रव्य का स्वरूप व भेद लोकाकाश और अलोकाकाश का स्वरूप काल-द्रव्य का स्वरूप व उसके दो भेद निश्चय काल का स्वरूप छः द्रव्यों का उपसंहार और पांच अस्तिकायों का वर्णन अस्तिकाय का लक्षण द्रव्यों के प्रदेशों की संख्या उपचार से एक पुदगल परमाणु भी बहुप्रदेशी है प्रदेश का लक्षण द्वितीय अधिकार मानव आदि पदार्थों के कथन को प्रतिशा भावास्त्रय व द्रव्याखव के लक्षण भावासव के नाम व मेव १० ५२ १३ १४ १५ १६ १८ २० २१ २३ २६ २७ ९८ २९ २० १ ३२ ३३ ૪ ३६ ३६ ३८ ३९ YOPage Navigation
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