Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 10
________________ द्रव्य संग्रह और श्वासोच्छ्वास । ( चदुपाणा ) चार प्राण ( सन्ति ) हैं । (दु ) और । ( शिच्चयणयां ) निश्चय से ( जस्स) जिसके । ( दणा ) चेतना | ( है ) (सो) वह । (बोवो ) जीव है । व्यवहारनय से जिसके तीनों कालों में इन्द्रिय, बल, आयु और श्वासोच्छ्वास- ये चार प्राण हैं और निश्चयनय से जिसके चेतना है वह जब है । प्र-व्यवहारनय किसे कहते हैं ? ०-वस्तु के अशुद्ध स्वरूप को ग्रहण करने वाले ज्ञान को व्यवहार-नय कहते हैं। जैसे- मिट्टी के घड़े को घी का घड़ा कहना । प्र०-सीन काल कौन से हैं ? २०- १ - भूतकाल, २- वर्तमान काल, ३- भविष्यकाल । प्र०- मूल प्राण कितने हैं व उनके उसर-भेद कौन-कौन से है ? ०-मूल प्राण चार है- इन्द्रिय, बल, आयु और श्वासोच्छ्वास । इनके उत्तर मेद १० है । पाँच इन्द्रिय-स्पर्शन, रसना, प्राण, चक्षु और फर्म । सोन बल - मनबक, वचनव और कायबल । आयु और वा सोच्छ्वास 1 प्र-व्यवहारमय से जीव का लक्षण बताइये । 3 - जिसमें दोनों कालों में चार प्राण पाये जाते हैं, व्यवहारनय से वह जीव है। प्र० - मिश्चयनय से जीद का लक्षण बताइये । उ०- जिसमें चेतना पायी जाती है, निश्चयनय से यह जीव है । प्र० - निश्चयनय किसे कहते हैं ? उ०- वस्तु के शुद्ध स्वरूप को ग्रहण कहते हैं, जैसे- मिट्टी के घड़े को मिट्टी का घड़ा कहना । अ० - एकेन्द्रिय जीव के कितने प्राण हैं ? करने वाले ज्ञान को निश्चयनय उ०- एकेन्द्रिय जोव के चार प्राण होते हैं- स्पर्शन इन्द्रिय, कायवल, आयु और श्वासोच्छ्वास | प्रo द्वीन्द्रिय जोव के किसने प्राण है ? 1 उ०-१-स्पर्शन इन्द्रिय, २- रसना इन्द्रिय, ३-वचनबल ४- काय क ५-आयु, ६ वासोच्छ्वास । कुल ६ प्राण होते हैं।

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