Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ द्रय संग्रह प्र० तीन इन्द्रिय जीव के कितने प्राण है ? उ०- तीन इन्द्रिय जोब के सात प्राण होते हैं--स्पर्शन, रसना, धाण, वचनबल, कायवल, आयु और श्वासोच्छ्वास । प्र०-चार इन्द्रिय जोय के कितने प्राण होते हैं ? उ०- स्पर्शन, रसना, प्राण, चक्षु, वचनचल, कायबल, आयु और श्वासोच्छ्वास । कुल ८ प्राण चार इन्द्रिय जीव के होते हैं । प्र० - अशी पंचेन्द्रिय ओव के कितने प्राण होते हैं? श० - स्पर्शन, रसना, प्राण, चक्षु, कर्ण, वचनबल, कायबल, बायु और श्वासोच्छ्वास । कुल ९ प्राण असंशी पंचेन्द्रिय जीव के होते हैं । प्र०-संकी पंचेन्द्रिय जोव के कितने प्राण होते हैं ? उ०-दस प्राण होते हैं-पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयु और श्वासो - च्छ्वास । प्र० - आप ( विद्यार्थियों) के कितने प्राण हैं? क्यों ? उ०- हमारे १० प्राण हैं। क्योंकि हम वेन्द्रिय सैनी हैं। प्र० अरहंत भगवान के कितने प्राण होते हैं ? ०-अरहंत भगवान के चार प्राण होते हैं- वचनबल, कायबल, वायु और श्वासोच्छ्वास । प्रo सिद्ध भगवान के कितने प्राण होते हैं ? उ०- सिद्ध भगवान के दस प्राणों में से कोई भी प्राण नहीं है। उनको मात्र एक चेतना प्राण है । उपयोग के भेष उवओोगो डुबियप्पो वंसण णाणं च वंसगं चतुषा । चलु अचक्लू ओही वंसणमघ केवलं गेयं ॥ ४ ॥ मार्थ ( उबओगो) उपयोग। (दुवियप्पो ) दो प्रकार ( का है ) | ( दंसण ) दर्शन । (गाणं च ) और ज्ञान । ( दंसण ) दर्शन { चतुषा ) चार प्रकार का है | ( चक्खु ) चक्षुदर्शन ( अचक्खू ) अचकुदर्शन | ( ही ) अवधिवर्शन । ( अ ) और ( केवलं दंसणं ) केवलदर्शन । ( णेयं } जानना चाहिए।

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