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संन्यास की परंपरा का लोप देश के दुर्भाग्य का सूचक है। शास्त्रों में बताया है कि मुनि सारे संसार को अभय देने वाला होता है। एक मुनि की हत्या अनन्त जीवों की हत्या के बराबर है। वह देश सौभाग्यशाली होता है, जहां अहिंसा, अपरिग्रह आदि महाव्रतों का पालन करने वाले संन्यासी साधना करते हैं। संन्यास-परंपरा की महत्ता को ध्यान में रखकर इसकी सुरक्षा एवं अभिवृद्धि के लिए सलक्ष्य अभिक्रम किया जाए तो भावी खतरों से बचा जा सकता है।
१०४ : दीये से दीया जले
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