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हिंसा, आतंक, अलगाववाद, नशे की आदत आदि समस्याएं देश के सामने चुनौती बनकर खड़ी हैं। इनके समाधान की चर्चा बहुत होती है। पर समाधान के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। कारण साफ है। समस्या के मूल की खोज नहीं हो रही है। श्वावृत्ति के आधार पर तात्कालिक समाधान के लिए दौड़धूप हो रही है। किन्तु सिंहवृत्ति को अपनाकर समस्या के मूल पर ध्यान कम दिया जा रहा है। समस्या के मूल तक पहुंचने में समय लग सकता है। पर स्थायी समाधान होगा तो इसी प्रक्रिया से होगा।
__ अहिंसा का प्रशिक्षण हिंसा का त्रैकालिक समाधान है, इस चिन्तन के आधार पर हमने अहिंसा के प्रशिक्षण का उपक्रम प्रारंभ किया है। इस सन्दर्भ में हुए अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद हमने यह निष्कर्ष निकाला है कि 'अहिंसा-प्रशिक्षण' की बात शिक्षा के साथ जुड़ जाए, विद्यार्थी को प्रारंभ से ही अहिंसा का प्रशिक्षण दिया जाए, थ्योरीटिकल और प्रेक्टिकल प्रशिक्षण का क्रम चलाया जाए, उसके सामने 'अहिंसक जीवन-शैली' का प्रारूप और उदाहरण प्रस्तुत किया जाए तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब हम सुनेंगे कि हिंसा ने अहिंसा के सामने घुटने टेक दिये हैं।
त्रैकालिक समाधान : १३५
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