Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 171
________________ जन-जन के मन में अहिंसा और आत्मसंयम के संस्कार जागे, यही इस समस्या का समाधान हो सकता है। जिज्ञासा-राजनीति के मंच से उभरने वाले आरक्षण के नए प्रकल्प ने छात्रों के आक्रोश को अभिव्यक्त होने का एक मौका दिया है। उनका यह कदम निश्चित रूप से बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं है। क्या इसके विकल्प में उनके सामने कोई नया विचार रखा जा सकता है? ___समाधान-राजनीति के मंच से कोई भी बात उठती है, उसे राजनीति के रंग से रंग दिया जाता है। आरक्षण के नाम पर छात्रों में जो आक्रोश उभरा या उभारा गया है, वह सुचिन्तित कम है और उत्तेजनात्मक अधिक है। मुझे ऐसा लगता है कि विद्यार्थियों में नई साम्प्रदायिकता पैदा की जा रही है। कुछ लोगों की ऐसी मनोवृत्ति होती है कि वे हर बात को आन्दोलन का रूप दे देते हैं। लाभ-अलाभ पर विचार किए बिना किसी भी आन्दोलन को गति देना अपने पांवों पर कुल्हाड़ी चलाना है। छात्रों को कुछ करना ही है तो उनके सामने बहुत रचनात्मक काम हैं। आवश्यकता एक ही है कि वे प्रवाहपाती बनकर अपने कीमती जीवन को व्यर्थ न खोएं। उनके सामने एक बड़ा काम है नशा-मुक्ति का अभियान। नशे की संस्कृति ने विद्यार्थियों का कितना अहित किया है, किसी से अज्ञात नहीं है। भ्रष्टाचार पर किसी का अंकुश ही नहीं रहा है। सामाजिक बुराइयां भी नए-नए चेहरे बनाकर प्रकट हो रही हैं। इन सबके विरोध में युवा शक्ति का सम्यक् नियोजन हो तो एक बड़ी क्रान्ति घटित हो सकती है और देश का भला हो सकता है। केवल आन्दोलन की सीढ़ियों के सहारे निर्माण के शिखर पर आरोहण नहीं हो सकता। जिज्ञासा-सामाजिक विकास को गति देने के लिए क्या आप आरक्षण की नीति को उपयोगी मानते हैं? समाधान-जातीयता के आधार पर आरक्षण का सवाल विवादास्पद बन जाता है। जाति, सम्प्रदाय, अल्पसंख्यक आदि मुद्दों से मुक्त होकर केवल देश के कमजोर तबके को उठाने के लिए कोई उपक्रम सोचा जाता है, उसे गलत नहीं कहा जा सकता। राष्ट्र के सब नागरिक ऊंचे स्तर का जीवन जी रहे हों और कोई वर्ग-विशेष सदियों से गरीब हो, अविकसित हो, उसके लिए जिज्ञासा : समाधान : १५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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