Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 196
________________ को पूरे परिवार में संप्रेषित करने की यह एक सरल प्रक्रिया है । पारिवारिक संस्कारों की तरह अणुव्रत की आस्थाओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी संक्रान्त करने का यह एक सार्थक उपक्रम है। परिवार के सब सदस्य एक साथ बैठकर अणुव्रत के बारे में चर्चा करेंगे और अणुव्रत परिवार की सदस्यता को अपना सौभाग्य समझेंगे तो इस योजना के माध्यम से चुपचाप एक क्रांति घटित हो सकेगी। धर्मसंघ में विकास की नई दिशाएं खोलने की दृष्टि से एक विकास परिषद् गठित की गई है। उसकी सात इकाइयां हैं। उनमें एक इकाई अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन-विज्ञान की है। इसके माध्यम से अणुव्रत की भावी योजनाओं का प्रारूप निर्धारित होगा । अणुव्रत में रुचि रखने वाले कार्यकर्ता उन योजनाओं की क्रियान्विति के लिए जागरूक रहेंगे । जिज्ञासा - आपने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया । यह एक ही . कार्यक्रम इतना व्यापक है कि इसमें शिक्षा, साधना, सेवा एवं शोध की अनेक गतिविधियों को जोड़ा जा सकता था। फिर आपने प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान तथा इन जैसी ही अन्य गतिविधियों को प्रारंभ क्यों किया ? इस विकेंद्रित शक्ति को सलक्ष्य अणुव्रत आंदोलन में ही खपाया जाता तो क्या किसी विशिष्ट उपलब्धि की संभावना नहीं होती ? I समाधान - अणुव्रत एक व्यापक कार्यक्रम है, इसमें कोई दो मत नहीं है । इसका संबंध मानव मात्र के साथ है। जाति, सम्प्रदाय, देश, रंग और लिंग के घेरे इसे कभी अपनी सीमा में घेर नहीं सके। इसे केंद्र में रखकर कोई भी मानव हितकारी प्रवृत्ति चलाई जा सकती है । इस दृष्टि से इसे ही प्रमुखता मिलनी चाहिए थी, पर समसामयिक अपेक्षाओं के आधार पर अन्य प्रवृत्तियों को भी गौण नहीं किया जा सकता। प्रेक्षाध्यान और जीवन-विज्ञान का जहां तक प्रश्न हैं, ये दोनों तत्त्व अणुव्रत के ही पृष्ठपोषक हैं । अणुव्रत एक मानवीय आचार-संहिता है । पर आचार संहिता का उपदेश देने मात्र से वह आत्मसात् नहीं हो पाती । I उसे आत्मसात् करने के लिए प्रयोग जरूरी है । प्रेक्षाध्यान ऐसी प्रायोगिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य को मनुष्यता के सांचे में ढाला जा सकता है। अणुव्रत एक मॉडल है और प्रेक्षाध्यान मनुष्य को उसके अनुरूप १७८ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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