Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 205
________________ बढ़ती रहेगी, पर मानवीय मूल्यों का विकास नहीं होगा। नई पीढ़ी बौद्धिक बने, यह युग की अपेक्षा है। पर वह संस्कारी बने, यह सबसे पहली अपेक्षा है। इसके लिए अध्यापकों और अभिभावकों को भी जागरूक रहना होगा। इस पीढ़ी को संतुलित विकास का अवसर देने के लिए ‘जीवन-विज्ञान' का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इसमें सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों दृष्टियों से विद्यार्थी को मानवीय मूल्यों का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। इस पाठ्यक्रम से निकलने वाले विद्यार्थी शिक्षा के क्षेत्र . में उदाहरण बन सकते हैं। जिज्ञासा-स्त्रियों को पिछड़ेपन के अंधकार से निकालने का क्या रास्ता है ? समाधान-इसके लिए स्वयं स्त्रियों को आगे आना होगा। पुरुष भला क्यों चाहेगा कि स्त्रियां आगे आएं? स्त्रियां स्वयं सोचें, समझें, योजना बनाएं और पुरुषार्थ करें। जहां स्त्रियां जागी हैं, उन्हें कोई भी शक्ति रोक नहीं पाई है। हमारे समाज में साध्वियों का, स्त्रियों का जागरण एक मिसाल के रूप में है। पर यह भी तभी संभव हुआ है, जब उन्होंने स्वयं अंगड़ाई ली। उनका कर्तृव्व और हमारा प्रोत्साहन-दोनों के योग से एक अच्छा क्रम बन गया। स्त्रियां उन्नति करें, यह अभीष्ट है। पर वे पिछड़ेपन के अंधकूप से निकलकर फैशनपरस्ती की खाई में न गिर पड़ें, इसके लिए भी उन्हें सतत जागरूक रहना होगा। अन्यथा उनका जागरण खतरों से खाली नहीं रह पाएगा। जिज्ञासा-आदमी आज इतना क्रूर और हिंसक क्यों हो गया है? क्या उसके स्वभाव को बदला नहीं जा सकता? समाधान-बदलाव की संभावना न हो तो उपदेश, प्रशिक्षण और प्रयोग का कोई अर्थ ही नहीं रहे। आदमी को बदला जा सकता है, इसी विश्वास के आधार पर तो चारों ओर प्रयत्न हो रहे हैं। इन प्रयत्नों का कोई प्रभाव नहीं है, यह बात भी नहीं है। रही क्रूरता और हिंसा की बात । लोगों को लगता है कि ये वर्तमान युग की देन है। अतीत पर नजर डालें और देखें कि किस युग का जिज्ञासा : समाधान : १८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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