Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 203
________________ जिस विचारधारा या सिद्धान्त में आस्था रखकर चलता है, वह सही न हो तो आस्था कब तक टिकेगी। लोकतंत्र के प्रति अनास्था का स्वर उठा है, इसमें गलती लोगों की नहीं, लोकतंत्र को चलाने वालों की है। मेरे अभिमत से लोकतंत्र का विकल्प लोकतंत्र ही है, यदि वह सही और सक्षम है। जिज्ञासा-आज राष्ट्र जिन विषम परिस्थितियों का सामना कर रहा है, उनमें अणुव्रत की क्या भूमिका हो सकती है? ___ समाधान-नैतिकता, चरित्र और अध्यात्म को भुला देने से राष्ट्र को विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। राष्ट्र की जनता नैतिक मूल्यों के प्रति आस्थाशील रहे तो उलझनें बढ़ नहीं सकतीं। अणुव्रत जन-जन के हृदय में निष्ठा का दीप जलाना चाहता है। किसी समस्या का तात्कालिक समाधान खोजने में वह विश्वास नहीं करता। उसका विश्वास मूल को पकड़ने में है। वह देश में एक मात्र ऐसा आन्दोलन है, जो व्यापक रूप से मानवीय मूल्यों पर बल देता है और उनके प्रति निष्ठा पैदा करता है। जिज्ञासा-धर्म का राजनीतिकरण करके राजनीतिज्ञ सत्ता प्राप्ति के लिए आम जनता की धर्मभावना का जिस तरह उपयोग कर रहे हैं, उससे जनता को कैसे बचाया जाए? समाधान-इस प्रसंग में केवल राजनेता ही नहीं, धर्मनेता भी दोषी हैं। वे धर्म का राजनीतिकरण होने क्यों देते हैं? राजनेताओं के अपने स्वार्थ हो सकते हैं। धर्मनेता तो स्वार्थी मनोवृत्ति से ऊपर उठें। वे इस प्रवाह में क्यों बहें? धर्मनेताओं का यह दायित्व है कि वे राजनेताओं को धर्म पर हावी न होने दें। वे राजनीति का एक सीमा तक उपयोग भले ही करें, किन्तु राजनीतिमय क्यों बनें? आश्चर्य तो तब होता है जब धर्मनेता भी राजनीति खेलने लगते हैं। राजनीति पर धर्म का अंकुश रहे, यह बात समझ में आने जैसी है। पर धर्म राजनीति के इशारे पर चले, यह विडंबना है। जिज्ञासा-किसी समय सोने की चिड़िया कहलाने वाला हमारा देश आजादी मिलने के चार दशक बाद भी बदहाली भोग रहा है, दुनिया के कंगाल देशों में गिना जाता है। क्या बचाव का कोई रास्ता नहीं है? समाधान--किसी समय भारत समृद्ध था, इसका अर्थ यह तो नहीं कि जिज्ञासा : समाधान : १८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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