Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 172
________________ कुछ न सोचा जाए तो आजादी का लाभ ही क्या है ? कमजोर वर्ग पर दया करके उसके लिए कुछ करने के विचारों से हमारी सहमति नहीं है । मानवीय सृष्टि अथवा भ्रातृभाव से किसी को सहयोग दिया जाता है, ऊपर उठाया जाता है, यह एक रास्ता है। सही रास्ता तो यह है कि उस वर्ग को शक्ति सम्पन्न बनाया जाए। वह अपनी क्षमता से विकास करे और आगे आए। उसमें निमित्त कोई भी बन सकता है । पाली के बारे में एक बात प्रसिद्ध है कि वहां समाज का कोई भी नया व्यक्ति आकर रहता, उसे सबके बराबर बना लिया जाता । यह साधर्मिक वात्सल्य का एक उदाहरण है । उसकी प्रक्रिया के बारे में यह कहा जाता है कि वहां बसने वाले लोग नवागन्तुक व्यक्ति को एक-एक ईंट और एक-एक रुपया प्रदान करते । भाईचारे की भावना से दिया गया सहयोग आने वाले के लिए अच्छा सहारा बन जाता । भारत में रहने वाले सब लोग आपस में भाई हैं -- इस भावना का विकास हो और इसी के आधार पर हर एक को उठाने की भावना हो तो आरक्षण की नीति को गलत नहीं माना जा सकता । किन्तु जहां आरक्षण के नाम पर व्यक्ति अपने लिए कुर्सी या वोटों को आरक्षित करने के लिए कोई काम करता हो, उसके औचित्य पर प्रश्न-चिन्ह्र लगे बिना नहीं रह सकता । जिज्ञासा - भारतीय अर्थनीति उतार-चढ़ाव के कई दौरों से गुजर रही है । भारत में गहराते आर्थिक संकट को कम करने के लिए आम आदमी क्या कर सकता है? - समाधान- इस प्रश्न पर दो दृष्टियों से विचार करना होगा। एक दृष्टि है - इच्छाओं को बढ़ाओ, आवश्यकताओं को बढ़ाओ और उत्पादन बढ़ाओ । यह विकास का रास्ता है I दूसरी दृष्टि है - इच्छाओं का अल्पीकरण करो, आवश्यकताएं घटाओ और आरम्भ का अल्पीकरण करो । यह शान्ति का रास्ता है. 1 पहला रास्ता विकास का हो सकता है, पर उसके साथ तनाव और अशान्ति की उपस्थिति बराबर बनी रहती है। दूसरे रास्ते से उतना विकास भले ही न हो, पर मनुष्य तनावमुक्त रहकर सुख और शान्ति के साथ जी सकता है। १५४ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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