Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 191
________________ अस्वीकार कैसे किया जाएगा? जिज्ञासा-जयाचार्य की चौबीसी ठेठ राजस्थानी भाषा में रचित है। जो आम आदमी के लिए सहज सुबोध्य नहीं है। आज के सांस्कृतिक एवं भाषायी परिप्रेक्ष्य में क्या आप स्वयं हिन्दी भाषा में चौबीसी की रचना करने की अपेक्षा अनुभव नहीं करते? समाधान-जहां भावना प्रधान होती है, वहां भाषा गौण हो जाती है। कवित्व या वैदुष्य का सम्बन्ध भाषा से नहीं, सृजनशीलता से है। गोस्वामी तुलसीदास की रामायण किस भाषा में है? उसके प्रति जनता का कितना आकर्षण है। भाषा का प्रयोग देश और काल सापेक्ष हो सकता है। पर हमारे धर्मसंघ में राजस्थानी जितनी व्यवहृत होती है, दूसरी भाषाएं नहीं हैं। मैं स्वयं राजस्थानी में बोलता हूं और लिखता हूं। दूसरी बात-हमारे संघ की यह विधि रही है कि जिस विषय और विधा में आचार्यों की रचनाएं उपलब्ध हैं, उस विषय और विधा में नई रचना न की जाए। जयाचार्य ने भगवती की जोड़ लिखी। भगवती के १५वें शतक में गोशालक का वर्णन है। आचार्य भिक्षु गोशालक पर व्याख्यान लिख चुके थे। जयाचार्य ने उस पूरे शतक को छोड़ दिया। फिर साधुओं के आग्रह पर १५वें शतक के केवल दोहे लिखे। जोड़ के अन्य भाग की तरह गीतमय रचना नहीं की। जिज्ञासा-वर्तमान युग में विभिन्न वाद्य-यंत्रों और फिल्मी धुनों के आकर्षण से बंधी युवापीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति एवं आधुनिक संगीत की दुनिया में डूबती जा रही है। ऐसे समय में 'चौबीसी' अपनी गुणवत्ता एवं प्रभावकता कैसे सुरक्षित रख सकेगी? क्या इसके संगान को वाद्य-यंत्रों से परिपूरित कर जनता के समक्ष नहीं रखा जा सकता है? समाधान-वाद्ययंत्रों और फिल्मी धुनों का आकर्षण युवापीढ़ी को कहां ले जा रहा है, सब जानते हैं। फिल्मी गीतों में आई अश्लीलता सांस्कृतिक अस्मिता के लिए खतरा है। संगीत और रचना की गुणवत्ता से परिचित लोगों के बीच चौबीसी की गुणवत्ता और प्रभावकता को कभी खतरा नहीं हो सकता। यांत्रिक उपकरणों के प्रयोग का जहां तक प्रश्न है, मेरी समझ में ये जिज्ञासा : समाधान : १७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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