Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 174
________________ एक-दूसरे के विचारों का संक्रमण न हो। इस संक्रमणशीलता से श्रमिक वर्ग की निष्ठा और प्रामाणिकता प्रभावित होती है । वह प्रभाव दो प्रकार से होता है - अनुसरणशीलता से और विद्रोह की भावना से । श्रमिक वर्ग में दूसरे वर्गों के विचारों का प्रभाव संक्रान्त होता है, फलस्वरूप कुछ बुराइयां सक्रिय हो जाती हैं । सामाजिक कुरीतियों का जहां तक प्रश्न है, उनका संक्रमण अनुकरणशीलता से होता है । अप्रामाणिकता की वृत्ति चारित्रिक दुर्बलता से प्रोत्साहित होती है और अपने श्रम के शोषण - जनित विद्रोह से भी । उस समय उनके मन में यह भाव उत्पन्न होता है कि वे श्रम अधिक करते हैं पर उसका फल कम प्राप्त होता है। श्रम नहीं करने वाले अमीरी भोग रहे हैं और श्रमिकों को अभावों से गुजरना होता है । इस प्रकार की मनोवृत्ति से श्रम-निष्ठा में कमी आती है । निष्ठा के अभाव में पनपती हुई अप्रामाणिकता के प्रवाह को रोका नहीं जा सकता । इस दृष्टि से श्रमिकों की प्रामाणिकता उनकी अपनी चरित्रनिष्ठा और सामाजिक संक्रमण, दोनों पर निर्भर है । जिज्ञासा -श्रमिक-वर्ग की प्रामाणिकता का दायित्य क्या समाज के साथ भी कोई अनुबंध रखता है ? समाधान-श्रमिकों के मन का असंतोष, उनकी कठिन परिस्थितियां और अनुचित प्रोत्साहन उन्हें हिंसा की प्रेरणा देते हैं । इसका मूलभूत कारण है तामसिक वृत्तियां । वृत्तियां सात्विक हों तो कोई भी परिस्थिति व्यक्ति को बुराई के मार्ग पर नहीं ले जा सकती । तामसिक वृत्तियों से मन का असंतोष प्रबल होता है। आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयां मन को असंतुलित बनाती हैं। असंतोष और असंतुलन की स्थिति में व्यक्ति अपने करणीय और अकरणीय का विवेक नहीं कर सकता । जिस समय व्यक्ति आर्थिक अभावों से आक्रांत होता है, वह हर सम्भव उपाय से उस स्थिति को निरस्त करना चाहता है । कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अर्थ की अपेक्षा चरित्र को अधिक मूल्य देते हैं । किन्तु ऐसे निष्ठावान् व्यक्ति कम मिलते हैं । सामान्यतः व्यक्ति अपनी दुर्बलता से जूझना नहीं चाहता । उसे समाहित करने का प्रयत्न करता है । अर्थ मानव समाज की एक बड़ी दुर्बलता है। इसके लिए श्रमिक वर्ग को थोड़ा-सा उकसा दिया जाए, उसे कुछ सुविधाओं और अर्थ-प्राप्ति का प्रलोभन मिल जाए तो वह सब कुछ करने के लिए तैयार हो १५६ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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