Book Title: Diye se Diya Jale
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 156
________________ ६३. मौत के साये में _ 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' पूरे विश्व की मानव जाति के स्वास्थ्य की चिन्ता करने वाला संगठन है। वह विगत कुछ अर्से से प्रतिवर्ष ३१ मई को 'विश्व तम्बाकू निषेध दिवस' मनाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है तम्बाकू के दुष्परिणामों की ओर जनता का ध्यान आकृष्ट करना। इस विषय में रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का अभिमत है कि सन् २०२० से २०३० के दशक में भीषण नरसंहार की संभावना है। इस संभावना को आंकड़ों में प्रस्तुत किया जाए तो करीब तीन करोड़ लोगों को मौत का पैगाम सुनाया गया है। यह संहार किसी आणविक विस्फोट से नहीं होगा, बाढ़ या भूकम्प जैसी प्रकृतिक आपदा से नहीं होगा और किसी महामारी से नहीं होगा। इसका कारण बनेगा तम्बाकू का धुआं। तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों एवं अन्य दुष्प्रभावों के शिकार दस करोड़ लोग हो सकते हैं। तम्बाकू से बनने वाले पदार्थों के अनुकूल-प्रतिकूल प्रभाव के बारे में अनुसंधान, विश्व में कहां कितने प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं, इसका सही आकलन, उससे होने वाली बीमारियों की सूचना और संभावित प्रलय की स्पष्ट चेतावनी के बावजूद तम्बाकू पर प्रतिबन्ध नहीं लगा, इसके क्या कारण हो सकते हैं? कारणों की मीमांसा का कार्य 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' अथवा 'केयर फाउण्डेशन ऑफ इंडिया' जैसे संगठन कर सकते हैं। हमारे पास न तो इतनी सुविधा है और न इस विषय के विशेषज्ञों के साथ कभी कोई चर्चा हो पाई। फिर भी मेरी दृष्टि में इसका एक ही कारण हो सकता है। वह है आर्थिक लाभ। तम्बाकू के प्रयोग से निर्मित पदार्थों का उत्पादन करने वाली कम्पनियों का अपना व्यामोह है। उनको विज्ञापित करने वाली कम्पनियों या व्यक्तियों का अपना स्वार्थ है। जन-स्वास्थ्य के मूल्य पर बढ़ता जा रहा यह १३८ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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