Book Title: Dipalika Kalpa Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम् [५] अज्ञातकर्तृकदीपालिकाकल्पस्याकाराद्यनुक्रमः ॥]
[२१३ [च] तस्सुवएसेण तओ
५४/१३० चउतीसअइसयजुओ २२/१२४ तस्सुवएसेण तओ
६१/१३१ चउदसहियगुणवीससएहिं ६४/१३१
तह खारग्गिविसंबिल- १०२/१३५ चउविहसुरो वि मेरुं
१३४/१३८ तह छत्तीसं अपुट्ठवागरणाई १२५/१३७ चउसट्टी य वरिसेहि ४६/१३० तह पणअक्खर
१३०/१३७ चक्किओ दीहदंतो १ ११६/१३६
| तह वि न सो मुच्चिस्सइ ७५/१३३ चित्तस्ससुद्धतेरसिं
१२/१२४
तह सित्तरकोडीलक्खा ९०/१३४ [छ] तह सोलकोडिलक्खा
९३/१३४ छउमत्थो वीरजिणो
१८/१२४
तियलक्खअट्ठारसहस्सा २४/१२५ छ? अरे दुकरुच्चा
१०४/१३५ तिहिं णाणेहिं समग्गो
१६/१२४ छासी वरिसाउं सो ८०/१३३ तुट्टिस्सइ थूलिभद्दे
५०/१३० [ज] तेण य जलोवसग्गं
६९/१३२ जंबूसीसो पभवो
४८/१३० तेणउअनवसएहिं
५८/१३१ जह मूढमणा पुरिसा
३९/१२६ तेणउअनवसएहिं
५९/१३१ जा दुप्पसहो सूरी
तेरससएहिं (१३००) गोयम ! ६२/१३१
८५/१३४ जाणतो तं एअं
तो सग्गा चुओ सूरी ९५/१३४
१२९/१३७ जिणमयभत्तिनिवाओ
[थ] ९२/१३४
थक्किस्संति छ सोला जीवतः स्वामिनो बिम्बं
५७/१३१ ४/१२३
[द] जुगप्पहाणसमाणा
८७/१३४
दसवेआलिअ-जिअकल्प- ९७/१३५ जुत्ताजुत्तवियारं मूढा
३४/१२६ दससयपणपन्नेहिं
६०/१३१ जे मंतरु(तं )तओसह
४१/१२६ देवो देवेहिं कए
२१/१२४ [ण]
1 [ध] णाणेण मुणिय जम्मणं १३/१२४
धम्मट्ठिआण इयराण
३१/१२५ [त]
धम्मत्थिणो वि मुणिणो ३३/१२६ तं दटुं नरतिसिया ११०/१३६
[न] तंमि समयंमि तस्स वि
१३६/१३८ | न गिहस्संति पव्वज्जं
२९/१२५ तईआईसु जिणचक्की
११२/१३६
नंदी १ य नंदिमित्तो २ ११९/१३६ तत्तो कत्तिअमावसिनिसि १२२/१३७
नमिऊण विण्णत्तो एवं १२६/१३७ तत्तो जाईसरणं
८३/१३३ | नागिंदचंदनिव्वुइ
५६/१३० तत्तो पहुनिवाणं १३५/१३८ नामेण लवणदेवी
६८/१३२ तत्तो य निरंतरिया
७०/१३२ निल्लज्ज निव्वसणा १०५/१३५ तत्तो य सूरदेवो ११४/१३६
[प] तत्थंऽतिमचउमासं २५/१२५ | पंचावण्णाकोडी
८९/१३४
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