Book Title: Dipalika Kalpa Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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१००
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परिशिष्टम् [६] विशेषनाम्नामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[२१७ गौतम [ गणधर] ७, १८, १९, ३९, ४१,
[ज्ञ] ५९, ६३, ६४, ६५, ६७, | ज्ञातनन्दन [ वीरप्रभु] ९०, ९४, ११६, ११७,
[त] १२१, १४२, १४३, १७१, | तिलक [भाविप्रतिवासुदेव] ३९, ६३, १७७, १८९, १९१
११५, १८८ गौतमाब्धि [ सूरी]
१९२ तुरुष्क [ देश]
१०४ [च]
[त्र] चन्दना [वीरसाध्वी] ७, ६३, ९० त्रिगुप्त [ षोडशतीर्थकर]
३८ चन्द्र [वत्सर]
६४, १८८ त्रिदशा [ आपगा]
१०४ चन्द्रगुप्त [ नृप] ४७, १२८, १७५,
त्रिपृष्ठ [भाविवासुदेव] ३९, ६३, ११५, १७६
१८८ चन्द्रप्रभा [ शिबिका] ५, ५६, ८९
त्रिविक्रम [विष्णुकुमारमुनि] १२० चम्पक [वृक्ष]
त्रिशला [ राज्ञी] ४, ५०, ५१, ५२, ५३, चम्पा [ नगरी]
५४, ५५, ८८, १७२ चित्रगुप्त [भाविषोडशतीर्थकर] ६२
[द] चैत्र [मास]
४, ५४, ८९, दक्षिणार्धभरत [क्षेत्र]
१७१ १३९, १७२
दत्त [कल्किपुत्र] ६०, १०६, १०७, चौलुक्य [ कुल]
१०३ [ज]
१०९, १८३, १८४
दत्त [कुलकर] जक्खौ [पुर]
३७, ६१, ११३, जम्बू [स्वामी] १९, २०, ५९, ९४,
१८७ ९५, १७७, १८५
दत्तपुर [ दत्तराजधानी] १०७, १८३ जम्बूद्वीप [द्वीप] ४८, ४९, ५०, १७१
दशम | [भाविचक्री] ३८, ६३, जयन्त [भाविबलदेव] ३९, ६३, ११५,
दर्शन
११४, १८७ १८८
दशवैकालिक [ग्रन्थनाम] २०, ३४, ६०, जस [ कल्किपिता] १८२
९५, १७७ जिनसुन्दर [ सूरी]
१२२
दिगम्बर [ सम्प्रदाय] ९५, १७८ जीतभय [ नगर]
१०४, १७८ दीपालि । [पर्व-दिन] ४१, ४७, ६८, जीमूत [ ]
१०५ दीपालिका | ८८, ११७, १२१, १२२, जीवत्स्वामी [ प्रतिमा] ४७, १७८ दीपोत्सव । १३९, १७१, १८९, १९१ जृम्भक [ देव]
दीर्घदन्त [भाविचक्री] ३८, ६३, ११४, जृम्भिक [नगर] ५७, १७२
१८७ ज्योतिष् [ देव]
दुःप्रसह [ आचार्य] ३४, ६०, १११, ज्वालादेवी [राज्ञी ]६५, ११८, १४४, १९०
१८५, १८६
१९२
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