Book Title: Dipalika Kalpa Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम् [६] विशेषनाम्नामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[२१९ पुष्योत्तर [विमान] ४,४८,८८|| बलि | [भाविप्रतिवासुदेव] ३९, ६३, पुष्यमित्र । [सूरि] ९५, १७८ | बली
११५, १८८ पुष्यमित्रक |
बहुल [विप्र]
५, ५६, ९० पूर्ण [ महीपति] १७, ९३, १७४ बिन्दुसार [चन्द्रगुप्तपुत्र]
४७ पृथिवीपुरी | [नगरी] १७, ९३, १७४ ब्राह्मणकुण्ड [ ग्राम] ४८, १७२ पृथ्वीपुरी ।
[भ] पृष्ठचम्पा [ नगरी]
५८, ९० | भगवान् [ वीरनाम] पेढाल [भाविअष्टमतीर्थकर] ३८, ६२, भद्र ।[भाविचतुर्विशतीर्थकर] ३८, ६२, १४, १८७ भद्रकृत् |
११४, १८७ पोट्टिल [ ]
३७, ६२, ११३, भद्रबाहु [ यशोभद्रशिष्य] २०, ९५, १२८, १८७
१७५, १७६, १७७ पोट्रिल [भाविनवमतीर्थकर] ३८, | भद्रा [ महादेवी] ३७, ६१, ११३ ६२, ११४ || भद्रिका [पुरी]
५८, ९१ प्रणीतभू । [अनार्यदेश] ५८, ९१ | भरत [क्षेत्र ] २९, ३६, ३७, ४७, प्रणीतभूमि |
४८, ६३, १०७, ११२, प्रधान [ अध्ययन] ३९, ६४, ११६,
११९, १८५, १८७ १८८ भरत [ नृप]
१०५ प्रभव [जम्बूशिष्य] २०, ९५, १७७ भरत [भाविचक्री]
१८७ प्रभास [गणधर] ७, ९० भरतार्द्ध [क्षेत्र]
१८२ प्रह्लाद [ भाविप्रतिवासुदेव] ३९, ६३, भवन [ देव]
११५, १८८ भारत [क्षेत्र] ३४, ३६, ४९, ६३ प्राची [दिक्] १०४ भीम [पाण्डव]
१०२, १८२ प्राणत [स्वर्ग] ४, ४८, ८८, १७२ | भीम । [भाविप्रतिवासुदेव] ३९, ६३, प्रातिपद [आचार्य]
६०, १०९ भीमक
११५, १८८ प्रियकारिणी [वीरमातृनाम]
[म] प्रियदर्शना [ वीरदुहिता]
मण्डित [गणधर]
७, ९० प्रीतिवर्द्धन [ मास] ६४, ११५, १८८ मथुरा [ पुरी]
२४, १०७ [फ]
मदनावलीक [चक्रिप्रिया ] ६६, ११८ फल्गुश्री [साध्वी] ३४, ६०, १११, १८६ मध्यमापापा [पुरी]
१७२ [ब]
मल्ल [भाविएकविंशतीर्थकर] ३८, ६२, बप्पभट्टि [ युगप्रधान] २१, ९७, १७८
११४, १८७ बल [भाविवासुदेव] ३८, ६३, मल्लकी [ ज्ञाति] ६४, ११६, १४१, ११४, १८८
१८८ बलदेव [ राम] ३८, ६२, ११४, १८७ | महागिरि [ दशपूर्वी ]
D:\chandan/new/kalp-p/pm5\2nd proof

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