Book Title: Dipalika Kalpa Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 249
________________ ५५ ५५ परिशिष्टम् [६] विशेषनाम्नामकाराद्यनुक्रमः ॥] [२२१ वर्धमान [जिनेश्वर] ३, ५, ६, ७, ४७,| वैताढ्य [ पर्वत ] ३५, ११२, १८६ ५४, ५५, ८७, ८९, | वैमानिक [ देव] १२१, १२३, १९२ वैशाख [मास] ६,५७, ९०, वलभी [पुरी] १७६ १४०, १७२ वाणिज । [ग्राम] , ९१ वैशाली [पुरी] ५८, ९१ वाणिज्य | व्यक्त [गणधर] ७, ९० वायुभूति [गणधर] ___७, ९० व्यन्तर [ देव] वासुदेव [कृष्ण] ११४ व्याजित [भाविबलदेव] ६३, ११५, विक्रम [राजा] २१, ९६, १८८ विक्रमार्क १०६, १७७ [श] विक्रमादित्य शकटाल [स्थूलभद्रपिता] २० विजय [कल्किपुत्र] १०६, १०७, १८३ शङ्ख [ ] ३७, ६२, १८७ विजय [भाविविंशतितमतीर्थकर] ३८, शतक [ ] ६२, ११४, १८७ ११४, १८७ शतक [वीरश्रावक] ७, ९० विजय [ मुहूर्त] शतकीर्ति [ भाविदशमतीर्थकर] ३८, ६२, विजयपुर [विजयराजधानी] १८३ विदेहा [ वीरमातृनाम] ११४, १८७ विनयचन्द्र [ सूरी] शतद्वार [ महापुर] ३७, ६१, ११३, विन्ध्य [ पर्वत] १०४, १७८ १८७ विमल [भाविचक्री] ३८, ६३, ११४, शताली [ ] ६२, ११४, १८७ १८७ शमी [शाखी] १००, १०१ विमलवाहन [ कुलकर] ३७, ६१, शय्यम्भव [ प्रभवशिष्य] २०, १७७ ११३, १८७ शान्ति [ तीर्थकर] १०५ विमलवाहन [नृप] ३४, ६१, १११, १८६ शाल [वृक्ष] ५७, १७२ विमलवाहन [ भाविचक्री] ३८, १८७ शालिवाहन [ नृप] १७८ विष्णु [राजपुत्र-मुनि] ६५, ६६, ३८, ६३, विष्णुकुमार | ६७, ११८, ११९, १२०, ११४, १८७ १४४, १४५, १९०, १९१ | शूलपाणि [ अमर] वीर [जिनेश्वर] ४, ५, ७, १८, ४१, ४९, | शेषवती [वीरदौहित्री] ५५ ५७, ६४, ६७८७, ८९, | श्यामाक [कुटुम्बी ] ६, ५७, ९०, ९०, ९१, १०४, ११६, १७२ ११७, १२१, १२३, १३९, [श्र] १४०, १४१, १४२, १४३, | श्रमण [वीरनाम] १८९, १९१, १९२ | श्रावस्ती [पुरी] ५८, ९१ D:\chandan/new/kalp-p/pm5\2nd proof

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