Book Title: Dipalika Kalpa Sangraha
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 248
________________ १७८ ९७ २२०] [दीपालिकापर्वसंग्रहः ॥ महादेवी [ समुचिराज्ञी] १८७ | यशोवती [वीरदौहित्री] महापद्म [ भाविचक्री] ३८, ६३, | याम्या [दिक्] १०४ ११४, १८७ युधिष्ठिर [ महीपति] ९९, १००, १०२, महापद्म [ राजपुत्र] ६५, ६६, ६७, १८०, १८१, १८२ ११८, ११९, १२०, [र] १४४, १९०, १९१ | रज्जु । [संसद् ] महाबल [ भाविवासुदेव] ३८, ६३, | रज्जुका ११४, १८८ | रतिबल [भाविवासुदेव] ३८, ६३, ११४ महाबाहु [ भाविवासुदेव] ३८, ६३, | रत्नसिंह [ सूरी ] ११४, १८८ रथनूपुर [ नगर] महावीर [जिनेश्वर] ४८, ४९, ८९, रथवीरपुर [ पुर] १७१, १७२ राका [ पक्ष] मार्ग [मास] राजगृह | [नगरी] ५८,९१, १०७ मार्गशीर्ष [मास] ५, ८९, १४०, १७२ | राजगृही | मिथिला [ पुरी] ५८, ९१ राम [ नृप] १०५ मुञ्ज [कल्किपुत्र] १०६, १०७, १८३ | राम [ बलदेव] २४ मुनिचन्द्र [ सूरी] १०४ रेयलि [ ] ३८ मुनिसुव्रत [जिनेश्वर] ६५, ११७, | रेवती [ श्राविका] ३८, ६२, ११४, १८७ १४४, १९० | रोहिणी [ श्राविका] ३८, ६२, १८७ मुनिसुव्रत [भाविएकादशतीर्थकर] ६२, [ल] ११४, १८७ | लक्ष्मी [राज्ञी] मेतार्य [गणधर] ७, ९० | लच्छकी | [ज्ञाति] ६४, ११६, मेरु [पर्वत] ५४, १९० लेच्छकी । १४१, १८८ मौर्य [अन्वय] ४७ लवणदेव [ देव] मौर्यपुत्र [गणधर] ७, ९० लवणदेवी [गावी] २५, १८३ म्लेच्छ [ कुल] २३, ५९, १०५ लाट [देश] १०३ [य] लोकदेव [नैमित्तिक] १७, ९३ यशश्विक [वीरभ्रातृनाम] लोकान्तिक [ देव] १७२ यशस् [कल्किपिता] १०६ | लोहजङ्घ । [भाविप्रतिवासुदेव ] ३९, ६३, यशोदा [कल्किमाता] १०६, १८२ लोहजङ्घक | ११५, १८८ यशोधर [भाविएकोनविंशतीर्थकर] ३८, 1 [व] ११४, १८७ | वज्र [ दशपूर्वी ] २०, ५९, ९५, १७८ यशोभद्र [शय्यम्भवशिष्य] २०, ९५, १७७ वज्रजङ्घ [भाविप्रतिवासुदेव] ३९, ६३, यशोमती [ वीरपत्नी] ११५, १८८ D:\chandan/new/kalp-p/pm5\2nd proof

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