Book Title: Chando Ratnamala
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 24
________________ ___ ॐ ह्रीं अहं नमः । ॥ शासनसम्राट्-श्रीविजयनेमिसूरीश्वरपरमगुरुभ्यो नमः ।। ॥ साहित्यसम्राट्-श्रीविजयलावण्यसूरीश्वरप्रगुरुभ्यो नमः ।। श्रीजैनधर्मदिवाकर-शासनरत्न-तीर्थप्रभावक-राजस्थानदीपक-मरुधरदेशोद्धारक-शास्त्रविशारद-साहित्यरत्न कविभूषणेति पदसमलङ्कृतेन श्रीमद्विजयसुशीलसूरिणा विरचिता 55555555555555555555555555555555555 5555555555 छन्दो र त्नमाला FFFF听听听听听 555555555555555555555555555555599999999 मङ्गलाचरणम् [ अनुष्टुप्-वृत्तम् ] प्रणम्य श्रीमहावीरं, जिनेन्द्र जिनभारतीम् । श्रीगौतम-सुधमौं वै, गणीन्द्रौ गुणिनौ तथा ॥ १ ॥ स्मृत्वा श्रीनेमिसूरीशं, तीर्थोद्धारधुरन्धरम् । पूज्यं शासनसम्राजं, सद्गुरु ब्रह्मचारिणम् ॥ २ ॥ स्तुत्वा साहित्यसम्राजं, शास्त्रविशारदं कविम् । श्रीमल्लावण्यसूरीशं, व्याकृतौ च बृहस्पतिम् ॥ ३ ॥ नत्वा च स्वगुरु दक्षं, दक्षसूरि सहोदरम् । सुशीलसूरिराख्याति-निबन्धं छन्दसां नवम् ।। ४ ।। श्रीछन्दोरत्नमालेयं, शिशुकण्ठेषु शोभताम् । जिनोत्तमो मुनिर्बालः, शिष्यो मे मनुतामिमाम् ।। ५ ।।

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