Book Title: Chando Ratnamala
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 125
________________ उदाहरणम्प्रणय - तत्परमिमं सखिप्रियं , मधुर मालपमयैव शिक्षिता । विधुरिता समदकोकिलभारवै - यदि भविष्यसि मधौ प्रियंवदा ।। छ. ॥ प्रियंवदा | नगणः | भगरणः । जगणः | रगणः म | प्रणय | तत्पर | मिमं स | खिप्रियं ॥ ॥ | | sis (७१) "त्यौ त्यौ मणिमाला छिन्ना गुरुवक्त्रः" । त. य. त. य । ss. Iss. 5s. Iss. लक्षण मिदम् । सरलार्थः-यत्र क्रमशः तगण-यगण-तगण-यगणाः प्रतिपादं भवन्ति तस्य मणिमाला नाम बोधव्यमिति । उदाहरणम्सन्तोषधनानां का नाम समृद्धि - श्चारित्रक्षुधाप्तौ धिक्कामपि पाज्ञाम् । निर्वीजसमाधावास्तां सुरसौख्यं , जैनी यदि कण्ठे वाक् किं मरिणमाला ॥ छ । छन्दोरत्नमाला-१०२

Loading...

Page Navigation
1 ... 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174