Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 7
________________ 卐 बाल ब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः ॥ रामविजयजी कृत चैत्यवंदन चोवीशी आदीश्वर नु [१] आदिसर अरिहंत स्वामी, अविनाशी स्वामी, सकल सरूप अकल अनूप, प्रणमुं शिरनामी...१... रूपारूपी परम रूप, निज स्वभावमा रातो, ध्यावं अक लयलीनता, अनुभव गुण मातो...२ मरूदेवा सुत वंदिये अ, आणी मन आणंद, सुमतिविजय कविरायनो, राम जपे गुण वृन्द... अजितनाथ - [२] विजयासुत विजयी जयो, भावे प्रभु भेट्यो, प्रेम सहित पूजा करी, दोहग दुःख मेट्यो.. जेह सनाथ गुण विगुण धर्म, अध्यात्म धामी, अजित अयोध्यानो धणी, जे नाथ अकामी...२... बोजो जिन आराधतां , प्रगटे गुणनी राश, सुमतिविजय गुरु ध्यानथी, राम फले मन आश...३... संभवनाथ नु [३] श्री संभव जिन नामथी, शिवसंपद लहिये, सुख सघलां संसारनां, अनुषंगे कहिये. ओ जिन समरणथी सदा, नवनिधि घर आंगण, नवपल्लव होय प्रीति वळी, नमे वयरी गण...२... ओ जिन मुज हियडे वस्या, सेना सुत सुकुमाल, राम कहे जिन ध्यानथी, लहिये मंगलमाल...३... अमाल, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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