Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 5
________________ 5 आप सौ पासे आ पुस्तक नी कीमत रूपे एटलुज मागु फ चैत्यवंदन थकी चेत्योनी वंदना करता हृदय मांथी भक्ति ना निर्मल भरणा वहेवडावनारा बनो पोतानुज काम मानी पुस्तक नुं सुंदर अने समयसर मुद्रण करी आपनार-व्यवसाय करता कला प्रधान सुश्रावक श्री प्रकाशजी 'मानव' ने आ तके खास याद करवा आवश्यक लागे छे. साथसाथ संपूर्ण कंपोझ कार्यमा जोडाएला श्री घनश्याम भाई, टाईटल ने सुंदर ओप आपनार श्री प्रतापभाई, मुद्रक श्री बंसीभाई तथा वाइंडर श्री प्रीतमभाई ने पण याद करवा ज रहया. वीतराग भक्ति मां डूबी जगे जगे प्रत्येक पाषाण बिबनु अलग अलग चैत्यवंदन करी रहेला परम पूज्य गुरुदेव श्री सुधर्मसागरजी नो प्रेरणा थी धोराजी मां आ संग्रह संपादन कार्य आरंभायु. धोराजी ना श्री अश्वीन भाईए १०० करता वधु चैत्यवंदनो टाईप करी आप्या. चालु विहार मां जेतपुर, चोटीला, मूळी, सुरेन्द्रनगर, पाटण, पालनपुर संघ मां श्रुत खजानो तथा सहकार उपलब्ध थतां मात्र त्रण मास मां चैत्यवंदनो नो संग्रह तैयार थयो. तेना अलग अलग विभागो करी व्यवस्थित संकलन कर्यु. जे चैत्यवंदन प्रेमी समक्ष अनावृत कराये छ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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