Book Title: Bhimsen Charitra Hindi
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 15
________________ भीमसेन चरित्र झपकते नष्ट हो जाते थे। सभी हवेलियाँ गगन चुम्बी थीं मानो व्योम से गले मिल रही हो। उनके झरोखे कलात्मक थे। रात्रि के समय दीपों की जगमगाहट से रास्ते झिलमिलाते थे। नगर के किसीभी कोने में घूमने वाले को सर्वत्र समृद्धि के ही दर्शन होते थे। जहाँ दृष्टि जाती वहाँ वैभव और सम्पन्नता ही दिखाई देती थी। दुःख दारिद्र ढूंढने पर भी कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता था। सामान्य तौर पर नगरवासी सुखी और सन्तोषी थे, धर्म परायण और ईमानदार। सभी पाप भीरू। सभी जातियों के लोग बसते थे, परन्तु सभी अपने अपने धर्म में मस्त और कार्य में व्यस्त थे। किसी का किसी के साथ वैर-विरोध नहीं। जैनियों की शोभा यात्रा में ब्राह्मण सम्मिलित होते तथा ब्राह्मणों के उत्सवों में जैन भी उपस्थित रहते थे। सभी जातियों के बीच आपसी भाई चारा और अथाह प्रेम था। ____ गुणसेन नामक राजा यहाँ राज्य करता था। जैसा नाम वैसा ही गुणी था। वह वीर व पराक्रमी राजा था। अपनी अलौकिक वीरता से उसने अपने शत्रुओं को पराजित किया था और राज्य संचालन में आवश्यकतानुसार वह साम, दाम, दण्ड व भेद की नीति अपनाता। वह उदार मना था। उसके दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। वह प्रायः सभी को मुक्त हस्त दान देता था। पंडित, ज्ञानी, शास्त्री और साधु-सन्तों का वह हमेशा आदर-सत्कार करता था और उन्हें बड़े बड़े पारितोषिक, उपहार व भेंट प्रदान कर अपनी भक्ति अभिव्यक्त करता था। प्रजा को वह अपनी सन्तान मानता था। तद्नुसार प्रजा के कल्याणार्थ और वह सुखी रहे इसके लिये वह अथक प्रयास करता था। प्रजा से वह न्यूनतम कर वसूलता | था तथा असीमित सुविधाएँ प्रदान करने का सदैव प्रयत्न करता। प्रजा के सुख दुःख की टोह लेने के लिये वह गुप्त वेश में भ्रमण करता तथा दीन दुःखियों की हमेशा सहायता करता। न्याय-निष्ठ होने के साथ साथ वह दयालु भी था। किसी भी अपराधी का अपराध देखकर नहीं वरन् उसके पीछे रहे अपराधी के आशय को देखकर वह प्रायः न्याय करता और उसे योग्य सजा देता। मृत्यु दण्ड वह बहुधा कम देता था। यदि कभी ऐसी स्थिति आ जाती तो वह दुःखी मन से मृत्युदण्ड देता था। ___ऐसे कईं गुणों के कारण प्रजा सदा अपने राजा का सम्मान करती थी और उसके प्रत्येक आदेश को सिरोधार्य करती थी। गुणसेन की रानी थी प्रियदर्शना। रानी, यथा नाम, तथा गुण। उसका कमनीय आकर्षक तन, देखने वाले चित्त को भावविभोर कर देता था। उसके नेत्रों से निर्मलता छलकती थी, साथ ही उसका देह-सौंदर्य ऐसा कि अप्सराओं को भी लजा दे। तथापि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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