Book Title: Bhavarivaran padpurti Stotra Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Samiti

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Page 7
________________ प्रस्तावना। ३-महिम्न पादपूर्ति , ऋद्धिवर्द्धनसरि कृत ऋषमस्तोत्र, रसोक ३३ ( उ. सुखसागरजी व हरिसागरसरिजी के पास !. ४-भक्तामर पादपूर्ति १. भक्तामर शतद्वयी दि.पं लालाराम शास्त्री (प्रकाशित) २. भक्तामर पादपूर्त्यात्मकं गिरिधर शर्मा नवरत्न ३. चन्द्रामलक भक्तामर जयसागरसरि ४.पादपूर्त्यात्मकं स्तोत्रम् विवेकचन्द्र ५. हरिसागरसूरि गुणवर्णनरूप कवीन्द्रसामर ५-कल्याणमंदिर पारपूर्ति---- १. लक्ष्मीवल्लभ शि: लदमीसेन रचित श्लो.. (पत्र १ हमारे ग्रह में है) २. पूज्य गुणादर्शकाव्यम् ,स्था. घासीलाल (सानुवाद श्रीलालचरित्र में प्र.) ३, कालू भलामरम् तेरहपंथी साधु रचित ( उ. तेरापंथी इतिहास) ४ विजयक्षमासूरि लेख श्लो. ३८, स. १७७८ रचित (विजयधर्मसूरि ज्ञानमंदिर आगरा) ५. कल्याण मंदिर पादपूात्मकं स्तोत्रम् पं० गिरधरशर्मा १. उवसग्गहर पादपूर्ति, जिनप्रभसरि या लक्ष्मीकल्लोल रचित गा.२. ५. संसारदावा पादपूर्ति, लक्ष्मीवल्लभ रचित पार्श्वस्तक्न गा. १७ (भुवनभक्तिभंडार बं. १२, हमारे व मुनि विनयसागरजी के संग्रह में) समस्या स्तव के नाम से अन्य अनेक स्तोत्र प्राप्त हैं पर मावारिवारण की पादपूर्ति की कोई भी रचना अद्यावधि प्राप्त नहीं थी। हर्ष का विषय है कि मुनि श्रीविनयसागरजी की शोध से यह प्राप्त हुई है,एवं उन्हीं के प्रयन से यहां प्रकाश में भी भारही है । माशा है आपका साहित्यानुराग दिनोदिन इसी प्रकार प्रमिवृद्धि पाता रहेगा। भावारिवारण स्तोत्र के मूल रचयिता जिस भावारिवारण स्तोत्र की पादपूर्ति प्रस्तुत अन्य में प्रकाशित हो रही है, बस मूल स्तोत्र के रचयिता जिनवल्लभमरिबी-१२-राति के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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