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प्रस्तावना।
प्रकाशित *दण्डक स्तुति दय की टीका की प्रति पद्मराजजी के स्वयं लिखित बीकानेर की राजकीय अनूप संस्कृत लायब्रेरी में प्राप्त है । जिसकी प्रतिलिपि करवा के मैंने मुनि विनयसागरजी को प्रकाशनार्थ भेज दी थी । पार्श्व स्तोत्र सावचूरि की प्रेस कापी उपा० सुखसागरजी से प्राप्त हुई थी जिसे मैंने कलकत्ते से सिजवाई थी। अब पद्मराज की समस्त रचनाओं की सूची नीचे री जा रही है।
१. भुवनहितसरि रचित दण्डक वृत्ति सं. १६४३ २. जिनेश्वरसूरि ,, रुचिर , , सं. १६४४. फलौदी ३. उवमगहर बालावबोध स. १६४६ जेसलमेर पत्र ५
(डुंगरजी भंडार जेसलमेर) ४. अमयकुमार चौपाई सं. १६५० जेसलमेर ५. भावारिवारणपादपूर्ति स्तव स्वोपज्ञ वृत्ति स. १६५६ विजयदशमी
जेसलमेर ( इसी ग्रंथ में प्रकाशित ) क. बोबीयजिन र बोल गर्मित स्तवन सं. १६६७., (गा. २७ संग्रह में) .. 'दुल्लक ऋषि प्रबंध सं. १६६७ का. सु ५ मुलतान
(गा. १४१) हमारे संग्रह में । ८. सनतकुमार रास
स. १६६ १. पार्श्वनाथ लघु स्तवन साक्चूरि (इसी ग्रन्थ में प्रकाशित ). १०. शीतलजिन स्तवन गा. ११ ११. वासुपूज्य स्तवन गा."
१२. मरोट नेमिनाय ,, ,, १७ १३. नेमिधमाल ,, ,, ११ १४-१५. नेमि स्तवन , ५-५ १६ महावीर स्तवन ., १५
१७. अष्टापद ,, ,,१४ १८. नवकार छंद , १६.२०. गातमाष्टक गा. गीत गा. ३ २१. जिनवाणी गीत ,, ११
इनमें से एक प्रस्तुत ग्रन्थ में छपी है, दूसरी 'जिनेश्वर दण्डक स्तुते, त्रय टीकोपेता' नाम से स्वतंत्र पुस्तिका मुनिबिमयमागरजी के सम्पादित शीघ्र ही प्रकाशित होगी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com