Book Title: Bhavarivaran padpurti Stotra Sangraha Author(s): Vinaysagar Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Samiti View full book textPage 5
________________ पृष्ठ पक्ति शुद्धाशुद्धिपत्रम् । अशुद्धिः शुद्धिः भवपारण तव पारण पारणदाय दानेन सद्मसु-परणदायि मुझग दानेन परविश स्थूलता परमविसंस्थूलता मंडलं बिंब बिंब मण्डलं अगस्तयस्तं अगस्त्यस्त तरकांड तरंड पंचविंशतो पंचविंशति बहुभवभया बहुभवमयारंभरीणाय स्वकर्तरि स्तवकर्सरि निष्ककघपट्टाः निकषकषपट्टाः विवृत्ति विवृति कान्तिपयः कान्तिपंक्तयः भवन् असुरनिकरेणासुर वृन्देन-अमरनिकरामरवृन्देन पाच्यानां पाध्यायानां भवद् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 55