Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 6
________________ भारत की खोज बाद भी गरीबी को दूर नहीं कर पाया और नहीं दूर कर पाएगा क्योंकि गरीबी को कौन दूर करेगा, बीमारी को कौन दूर करेगा। जिंदगी में इतने दुःख हैं इतना कलह है, इतने कौनसलिट है, इतना संघर्ष है, इतनी कुरूपता है, सारा जीवन एक नरक हो गया। इस नरक को कौन बदलेगा, इस नर क को वह लोग ही बदल सकते हैं जो इस नरक को यथार्थ ही मानते हैं यथार्थ मा नते हो तो बदलने के रास्ते खोजे जा सकते हैं और अगर यह यथार्थ ही नहीं है तो | समाप्त हो गई फिर एक ही काम है आंख बंदकर के बैठ जाने का। हिंदुस्तान की प्रतिभा आंख बंद करके बैठी है। हम आंख बंद करके बैठने वाले लोगों को आदर भी बहुत देते हैं हम समझते है की वह आदमी आंख बंद करके बैठ जाता है वह धार्मिक हो जाता है। हम सोचते हैं। जो आदमी जिंदगी की तरफ पीठ कर लेता है वह ज्ञानी हो जाता है। हम उसके पैर छूते हैं क्योंकि इस आदमी ने संसार का त्याग कर दिया क्योंकि इस आदमी ने जी वन को इंकार कर दिया। जो आदमी जीवन का दुश्मन है उसे हम सम्मान देते हैं। भारत में जीवन विरोधी प्रतिभा को सम्मान मिल रहा है इसलिए जीवन की समस्यों का हल करने का कोई रास्ता नहीं। जीवन की समस्याएं कौन हल करेगा। प्रतिभा से , बुद्धि से जीवन की समस्याएं हल होती हैं और अगर बुद्धि ने इंकार करने का रास ता पकड़ लिया हो तो समस्याएं कैसे हल होगी? हम एक स्कूल में बच्चों को एक सवाल दें और वह सारे बच्चे उठकर कहें सवाल ि मत्था है, माया है क्यों हल करें जो है ही नहीं तो उस स्कूल में फिर गणित विकसि त नहीं होगा। गणित के विकास की क्या जरूरत रहेगी? सवाल को सही माना जाए तो सवाल को हल करने की कोशिश की जा सकती है और सवाल को इंकार कर दिया जाए तो हल करने का क्या सवाल? भारत जीवन के सवालों को इंकार कर र हा है, बात ही नहीं कर रहा है और अगर कभी कोई बात भी करता है तो वह बा त एक्स्प्लेशन होती है, व्याख्या होती है, समाधान नहीं होता जैसे भारत गरीब है ह जारों साल से गरीब है, आज। आदमी और गरीबी को मिटाया जा सकता है, धन पैदा करना आदमी के हाथ में है , धन को बांटना आदमी के हाथ में है, धन की सारी व्यवस्था आदमी के विचार से निसपन्न होती है लेकिन भारत ने एक व्याख्या खोज रखी है। वह कहता है आदमी ह पहली तो बात यह है की सब झूठ है जो बाहर दिखाई पड़ता है तो गरीबी भी ए क सपना है अमीरी भी एक सपना है, और जब दोनों ही सपने हैं तो फर्क क्या है? सपनों को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। भूख भी एक सपना है और पेट भरा होना भी एक सपना है। पेट भरे होने वाले आ दमी के लिए तो यह वात बहुत अच्छी है लेकिन भूखे आदमी के लिए बहुत खतरना क है। पेट भरा आदमी कहता है की विलकुल ठीक कहते हैं महाराज। सव जिंदगी सपना है क्योंकि पेट भरे आदमी को यह व्याख्या बहुत सहयोगी है जब सभी सपना Page 6 of 150 http://www.oshoworld.com

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